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नागपूर समाचार : ओपन स्केटिंग चैंपियनशिप में लगातार पांच गोल्ड मेडल जीतकर विजेता बनी आयुषी रतूड़ी 

नागपुर गणेशनगर नंदनवन NMC स्केटिंग रिंग में महाराष्ट्र राज्य ओपन रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप प्रतिस्पर्धा में इंडियन स्केटिंग एकेडमी एवं अग्नि स्केट रेसर्स नंदनवन जिला नागपुर महाराष्ट्र की प्रतियोगी और विदर्भ बुनियादी हाईस्कूल ओमनगर सक्करदरा की सातवीं कक्षा की विद्यार्थी कुमारी आयुषी अरविंद रतूडी ने १० से १२ वर्ष उम्र बीगनर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेते हुए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम करते हुए इतिहास रच दिया.

यह प्रतिस्पर्धा इंडियन स्केटिंग एकेडमी ISA स्केटर्स द्वारा आयोजित की गई थी विशेष बात यह रही कि आयुषी रतूड़ी ने लगातार पांच-पांच गोल्ड मेडल जीतकर अनोखी उपल्ब्धि काफी कम समय में हासिल कर ली है और आयुषी इस खेल में पिछले कुछ महीनों से ही प्रशिक्षण ले रही है और इस प्रकार की शानदार उपलब्धि हासिल करने वाली प्रतियोगी छात्रा बन गई है.

डेढ़ सप्ताह के भीतर ही पहले जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के बाद दो राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में विभिन्न श्रेणियों में चार-चार स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली प्रतिस्पर्धी बनते हुए सिर्फ तीन प्रतियोगिताओं में ही प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए पांच स्वर्ण पदक विजेता बनी आयुषी रतूड़ी ने कहा कि मेरे पिता जी एक सुप्रसिद्ध समाजसेवी है और रात दिन सदैव तत्परता से लोगों की सेवा में समर्पित रहते हुए आर्थिक और आधुनिक संसाधनों से सम्पन्न नहीं है उच्च श्रेणी के संसाधनों की कमी के बावजूद भी मेहनत हौसला और पिताजी की कठोर तपस्यारूपी जनसेवा की स्मृति और प्रेरणा ही मेरी असली ताकत है यह प्रथम पुरस्कार और पांचों स्वर्ण पदक मैं हमेशा की तरह ही अपने प्रशिक्षकों श्री लक्ष्मीकांत माटे श्री गजेन्द्र बंसोड श्री जुबेर खान कुमारी रूपल टाले श्री अभिषेक सर श्री तन्मय पिंपडे श्री अक्षय वंसोड मुग्धा गजभिए रिया माऊले के साथ साथ सभी सम्मानित प्रशिक्षकों प्रशिक्षिकाओं तथा अपने माता पिता और स्वर्गीय दादा दादी जी को समर्पित करती हूं क्योंकि मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में इन सम्मानित लोगों का पूरा श्रेय रहा है स्केटिंग रिंग के प्रशिक्षक और प्रशिक्षिकाएं ही मेरी जीत की आधार शिला है माता पिता परिवार के साथ ही गुरू के मार्गदर्शन उनके संघर्ष आशीर्वाद के बिना किसी भी विद्यार्थी किसी भी प्रतिस्पर्धी का खेल जीवन और मेहनत अधूरी है.

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