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नागपुर बाजार पत्रिका : हिंदी स्वराज को ही हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं – संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

नागपुर समाचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि 75 साल की स्वतंत्रता को देखकर हमारे अंदर उत्साह जगा है। विश्व में कोरोना के दौर में किसी देश ने अच्छा काम किया तो वह भारत ने किया है। जी-20 की अध्यक्षता भी हमको मिली है। आगे मोहन भागवत ने कहा कि हिंदी स्वराज को ही हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं। वे शहर स्थित रेशीमबाग ग्रांउड में आयोजित संघ के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग समापन समारोह के दौरान उद्बोधन में बोल रहे थे।

नई सांसद में लगी तस्वीरों पर लोग आनंदित हैं 

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश को नई सांसद मिली, उसमे जिस प्रकार के चित्र लगे हैं, सोशल मीडिया में दिखा रहा है कि उसे देख जन सामान्य आनंदित हो रहा है। देश में इस समय कितने प्रकार के कलह मचे हैं। भाषा, सहूलियत को लेकर विवाद हो रहे हैं। इस तरह से विवाद हो रहे हैं कि हम आपस में ही हिंसा कर रहे हैं। हम शत्रु को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे बल्कि खुद ही लड़ रहे हैं। इसको लेकर हवा देने वाले लोग हैं, राजनीति वाले लोग भी हैं। ये सब सामान्य लोगों को नजर आता है तो दुखी होते हैं।

जो बाहर वाले थे चले गए, अब सब अपने लोग हैं

सरसंघचालक ने आगे कहा कि कुछ समय के लिए हमको भी जात पात को लेकर भेद आए। कुछ लोग बाहर वाले आए लेकिन जो बाहर वाले थे, वो चले गए अब सब अपने लोग हैं। जोशीमठ की घटना हुई, उसका कारण क्या है, ये सिर्फ भारत भर में ही नहीं है, क्योंकि पर्यावरण को लेकर हम इतने सजग नहीं है। ये घटना बताती है कि हमको त्वरित कुछ करने की जरूरत है।

अब हम विश्व के सिरमौर देशों में आने लगे

संघ प्रमुख ने कहा कि अब हम विश्व के सिरमौर देशों में आने लगे हैं। विश्व हमसे अब अलग अपेक्षा करता है। इसके लिए हमको अलग प्रयत्न करना होगा, विवाद नहीं बातचीत से सब सुलझाना है। उन्होंने कहा कि हमारी पूजा अलग-अलग है लेकिन हमारी पूजा इस देश की है। हम विभाजित हो गए तो हमारा बल चला गया। एक दूसरे को ऊंचा-नीचा मानने में लगे हैं। 

“जात-पात हमें जोड़ने वाला मसाला जिसे हिंदी नाम मिला”

भागवत ने आगे कहा कि सारी दुनिया में जिसको सिर रखने की जगह नहीं मिली उनको भारत ने जगह दी। पारसी और यहूदियों से पूछ लो। छोटे-छोटे कारण में हम एक दूसरे के सर फोड़ते हैं ये सही है क्या? जात-पात पर भेद नहीं था, ऐसा लोग कहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, हम इसका शिकार हुए हैं। ये सब हमको जोड़ने वाला मसाला है जिसको हिंदू नाम मिला है, ये वैश्विक है।

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