नागपुर : नागपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों को संक्रमण न हो, इसके लिए रोज कैदियों के बैरक को सैनिटाइज किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सेंट्रल जेल में 500 कैदियों को वैक्सीन दी जानेवाली है। इसके प्रथम चरण की शुरुआत गुरुवार से जेल अधीक्षक अनूप कुमरे की मौजूदगी में की गई। यह वैक्सीन 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले कैदियों को दिया जाएगा। नागपुर की सेंट्रल जेल में करीब 2500 कैदी हैं। इनमें 500 कैदी 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले हैं। खुली जेल और सेंट्रल जेल में कैदियों से मिलने आनेवालों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके अलावा बाहर से आने वाले कैदियों को अब करीब सवा माह बाद बैरक में रखने के लिए भेजा जाता है।
सेंट्रल जेल में मनपा के स्वास्थ्य विभाग की उपस्थिति में पहले दिन 20 कैदियों को कोरोना का टीकाकरण किया गया। यह कार्यक्रम तब तक जारी रहेगा, जब तक 500 कैदियों का टीकाकरण न हो जाए। इस अवसर पर जेल अधीक्षक अनूप कुमरे, जेल अस्पताल के डॉ. चौधरी, डॉ. वीरडकर, जेल कारखाना प्रबंधक रंजलवार, वरिष्ठ जेलर कमलाकर मिराशे सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे।
कर्मचारियों को भी लगवाना जरूरी
जेल से जुड़े सूत्रों के अनुसार कई जेल कर्मचारी पहले ही वैक्सीन लगवा चुके हैं, जो कर्मचारी वैक्सीन नहीं लगवाएं हैं, जिनकी उम्र 45 साल या उसके ऊपर है। ऐसे जेल कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन लगवानी पड़ेगी। जो कर्मचारी वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
की गई है शुरुआत
सेंट्रल जेल में बंद 45 साल या उससे अधिक उम्र वाले कैदियों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इस बारे में गुरुवार से शुरुआत कर दी गई है। जेल के कैदियों के साथ उन कर्मचारियों को भी दी जाएगी, जो अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाए हैं। अनूप कुमरे, अधीक्षक, सेंट्रल जेल नागपुर
कोरोना की जेल में हुई थी दस्तक
सेंट्रल जेल में अब तक 250 से अधिक कैदी संक्रमित मिल चुके हैं। खुली जेल में कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए कैदियों के साथ उनके परिजनों के मिलने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यही कारण है कि अब खुली जेल में बंद कैदियों को अकेले रखा जाएगा। जेल में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उस समय जेल अधीक्षक अनूप कुमरे ने जेल के अंदर ही अधिकारियों, कर्मचारियों को 15 से 21 दिन के लिए क्वारेंटाइन कर दिया था। अनूप कुमरे खुद भी जेल के अंदर क्वारेंटाइन रह चुके हैं। एक कैदी को बैरक में रखने के लिए करीब सवा माह तक उसे बाहर बनी अस्थायी जेल के अंदर समय गुजरना पडता है। उसके बाद ही उसे बैरक में जगह मिलती है।