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कोरोना में ऑक्सीजन की मांग 40% बढ़ी, पर्याप्त आपूर्ति नहीं, घरों में रोज 400 से 500 सिलेंडरों की मांग

नागपुर समाचार : जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। शनिवार की स्थिति को देखते हुए 28884 मरीजों को होम आइसोलेशन किया जा रहा है। बढ़ते संक्रमितों के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग भी काफी बढ़ गई है। जहां पर 100 सिलेंडर लगते हैंं, वहां अब 400 से 500 सिलेंडर लग रहे हैं। इस तरह करीब 40 प्रतिशत ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ गई है। अस्पतालों में बेड की अनुपलब्धता के कारण मरीज घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर रख रहे हैं। शहर में कुल 9 निजी ऑक्सीजन प्लांट हैं। जब कोविड का असर कम था, तो ये 8 से 12 घंटे ही चलते थे। अब पीक पर होने के कारण यह प्लांट 24 घंटे चल रहे हैं। इसके बाद भी आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है।

घरों में रोज 400 से 500 सिलेंडरों की मांग : घर में रह रहे मरीजों के लिए भी छोटे ऑक्सीजन टैंक की मांग बढ़ गई है। घर में सामान्य दिनों में सिर्फ अस्थमेटिक मरीजों के लिए सिलेंडर जाते थे। अब दो कैटगरी और बढ़ गई है। इसमें एक तो उन लोगों की मांग है, जिन्हें बेड नहीं मिल रहे हैं। दूसरा डिस्चार्ज होने के बाद भी लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इसमें जहां मरीजों को 50 से 100 सिलेंडर की मांग थी, वहां 400 से 500 सिलेंडर रोज जा रहे हैं।

शहर के अस्पतालों में साधारण दिनों में प्रतिदिन करीब 2000 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती थी। यह जरूरत अब 4000 से 4500 हो गई है। एक जंबो सिलेंडर 7 हजार लीटर का होता है। जितनी मांग है, उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसके लिए सिलेंडर भी कम पड़ रहे हैं। सिलेंडर रोटेट होते थे, जिसमें खाली सिलेंडर लेकर भरे हुए सिलेंडर देते थे। अब खाली सिलेंडर देने पर ही उन्हें भर कर दिया जा रहा है।

एक भी प्लांट फेल हुआ, तो परेशानी बढ़ेगी : माय गेटवेल स्टोर के सुनील बजाज ने बताया कि हमारे यहां से अभी प्रतिदिन 4000 से 4500 जंबो सिलेंडर जा रहे हैं। एक जंबो सिलेंडर 7 हजार लीटर का होता है। इसके साथ ही छोटे सिलेंडरों की भी मांग बढ़ी है। घर पर रहने वाले मरीजों से भी मांग बढ़ी है। शहर में कुल 9 ऑक्सीजन प्लांट हैं, उसमें से यदि एक भी किसी कारण से फेल होता है, तो परेशानी बढ़ जाती है।

भारतीय मेडिकेयर एंड गैसेस के संचालक के. एस. मोहन का कहना है कि ऑक्सीजन की मांग पिछले 3-4 दिन में और बढ़ गई है। अगर प्रतिदिन देखा जाए, तो करीब 40 प्रतिशत सिलेंडरों की मांग बढ़ गई है। हमारे यहां से सिर्फ जंबो सिलेंडरों की आपूर्ति की जाती है। कोरोना संक्रमण से लड़ने में अब संसाधन कम पड़ने लगे हैं। मनपा के अनुसार शनिवार की सुबह 10 बजे तक शहर में सिर्फ 14 वेंटिलेटर बेड खाली थे।

4471 बेड कोरोना आरक्षित : शहर में सरकारी और निजी अस्पतालों के कुल 4471 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित हैं। इसमें से 331 ऑक्सीजन बेड, 73 आईसीयू और 14 वेंटिलेटर बेड सुबह खाली थे। नए मरीज भर्ती होने पर शाम तक खाली रहे बेड की संख्या मुश्किल से 200 के आसपास बताई गई। उसमें भी वेंटिलेटर बेड की कमी से प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए पहुंचे अनेक मरीजों को प्रतीक्षा में रखा जा रहा है।

कोरोना का प्रादुर्भाव बढ़ने पर मेडिकल में 1000 बेड आरक्षित थे। संक्रमण कम होने पर कोविड आरक्षित बेड पर नॉन कोविड मरीज भर्ती किए गए। फिलहाल कोविड मरीजों के लिए 600 बेड आरक्षित हैं। नॉन कोविड मरीजों के बेड खाली होने पर कोविड मरीजों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यही हाल मेयो अस्पताल में है। वहां कोविड के 600 बेड आरक्षित हैं। फिलहाल 480 बेड कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध हैं।

वहीं हाल ही में श्रमण अस्पताल में कुछ लाेगों की मौत हुई थी। परिजनों का आरोप था कि, ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने के कारण मौत हुई। इस विषय में शनिवार को मनपा की एक टीम अस्पताल पहुंची। मनपा अतिरिक्त आयुक्त जलज शर्मा ने बताया कि, उन्हें शो-कॉज नोटिस दिया गया। अस्पताल में नियुक्त लोगों से बातचीत भी की। इस विषय में अस्पताल की ओर से जवाब आने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे।

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