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नागपुर समाचार : चंद्रायान-3 की तैयारियां पूरी, जुलाई तक लॉन्चीग, इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने दी जानकारी

स्पेस डेवलपमेंट के लिए निजी भागीदारी….

नागपुर समाचार : इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रायान-3 मिशन की तैयारी पूरी हो गई है. सभी आवश्यक परीक्षण सहित अन्य तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई है. लॉन्चिंग के लिए अनुकूल स्लॉट की प्रतीक्षा की जा रही है. आगामी जून-जुलाई में चंद्रायान-3 अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने की तैयारी होने की जानकारी उन्होंने दी.

पत्रकारों से चर्चा में सोमनाथ ने बताया कि इससे पहले के प्रक्षेपण की तरह ही उम्मीदें लगी हैं. इस बार सुरक्षित लैंडिंग और इसके बाद रोटर सुरक्षित तरीके बाहर निकल सके, इस पर जोर दिया जा रहा है. चंद्रायान-3 में इस्तेमाल किया गया. सॉफ्टवेयर, सेन्सर, तकनीक आदि अपग्रेड की गई है. प्रतिकूल परिस्थिति में भी चंद्रायान काम कर सके, इस तरह से नियोजन किया गया है. इसी तरह मंगलयान की घोषणा एक महीने में होने वाली हैं. वहीं शुक्रयान-1 मिशन फिलहाल संकल्पना तक ही सीमित है. इस बारे में दो समितियां तैयार की गई हैं. सरकार के समक्ष अपने तथ्य रखे हैं.

1960 के दौरान अंतरिक्ष में उपग्रहों का कचरा नहीं था, लेकिन वर्तमान में दुनियाभर से उपग्रह छोड़े जा रहे हैं. कई मिशन फेल होने पर उपग्रहों का कचरा (स्पेस जंक) पृथ्वी के आसपास घूम रहा है. नये मिशन के दौरान यही कचरा दिक्कतें पैदा करता है. आज अंतरिक्ष में मौजूद 80 फीसदी सैटेलाइट बेकामी हो गये हैं. कचरे को नष्ट होने में ढाई से तीन हजार वर्ष का समय लगेगा. इसे ठिकाने लगाने के लिए कोई भी उपाय योजना नहीं है. इस वजह से यह दुनियाभर के लिए सिरदर्द है. सैटेलाइट कचरा 7 किलोमीटर की गति से घूमता है. इससे नये उपग्रहों को भी नुकसान हो सकता है.

स्पेस डेवलपमेंट के लिए निजी भागीदारी..

सोमनाथ ने कहा कि पिछले 60 वर्षों में इसरो ने अंतरिक्ष में व्यापक प्रगति की है. अब निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास शुरू है लेकिन इससे पहले कुछ कानून, जिम्मेदारी और नीति भी तय करना होगा. इसका मसौदा तैयार किया गया है. 1-2 दिन में मान्यता मिल जाएगी. मानवरहित गगनयान को वर्ष के अंत तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. गगनयान की पूर्व तैयारी के लिए दुनिया को 10 वर्ष का समय लग गया. भारत ने 4 वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए 4 परीक्षण किये गये. मानव रहित यान होने से सावधानी बरती जा रही है. इसके लिए रूस और अमेरिका से तकनीकी मदद ली गई है. उन्होंन बताया कि तमिलनाडु में दूसरे प्रक्षेपण स्थल के लिए जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है. निर्माण के लिए प्रारूप भी तैयार कर लिया है.

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