
नागपुर : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से आयोजित उपग्रह निर्माण कार्यशाला में विदर्भ के 160 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. विसेंट पल्लोटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कार्यशाला में उपग्रह तैयार के बारे में मार्गदर्शन किया गया. स्पेस रिसर्च पेलोड क्युब्ज चैलेंज-2021 स्पर्धा के माध्यम से देशभर के 1,000 विद्यार्थी तथा राज्य से 375 विद्यार्थी शामिल हुए हैं.
रुचि निर्माण करना उद्देश्य : यह प्रकल्प डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन, स्पेस जान इंडिया तथा चेन्नई स्थित मार्टिन ग्रुप के सहयोग से चलाया जा रहा है. प्रकल्प का उद्देश्य भारत रत्न डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचारों से प्रेरित होकर विद्यार्थियों में स्पेस रिसर्च के प्रति रुचि निर्माण करना है. यह जानकारी फाउंडेशन के महासचिव मिलिंद चौधरी तथा महाराष्ट्र समिति के सदस्य डॉ.विशाल लिचड़े ने दी.
महानगर पालिका, जिल्हा परिषद और नगर परिषद के छात्र हुए शामिल इनमें महानगरपालिका, जिला परिषद, आदिवासी आश्रम शाला, धारावी झोपड़पट्टी सहित दिव्यांग विद्यार्थियों का समावेश है.
कार्यशाला में 25 से 80 ग्राम वजन के उपग्रह तैयार कर उनका परीक्षण भी किया गया. इस प्रकल्प के माध्यम विश्व, एशिया सहित राष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जा रहा है. विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए दुनिया के सबसे कम वजन के उपग्रहों का प्रक्षेपण रामेश्वरम्से किया जाएगा.
इन उपग्रहों को 35,000 से 38,000 मीटर उंचाई पर हाई अल्टीट्यूड साइंटिफिक बलून द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा. सभी उपग्रह एक में स्पेस में रहेंगे. साथ ही पैराशूट, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम, लाइव कैमेरा से जोड़ा जाएगा. स्पेश से प्रत्यक्ष ओजोन, कार्बनडाई ऑक्साईड का प्रमाण तथा अन्य जानकारी पृथ्वी पर स्थित केंद्र को भेजी जाएगी.
उपग्रह के साथ ही 7-8 तरह की वनस्पती के बीज भी भेजे जाएंगे. अंतरिक्ष से लौटने के बाद इन बीज पर क्या परिणाम होता है, इसका अध्ययन किया जाएगा. प्रक्षेपण के बाद उपग्रहों के जमीन पर पहुंचने में 5 से 8 घंटे का समय लगेगा. विद्यार्थी उपग्रहों का प्रक्षेपण और उपग्रह की जानकारी घर बैठकर ऑनलाइन देख सकेंगे.