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नागपुर समाचार : दुनिया का सबसे बड़ा श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर ब्रिटेन के लंदन में बनाया जाएगा

■ पंढरपुर से लंदन तक अंतरराष्ट्रीय दिंडी का आयोजन, 70 दिन और 22 देशों से होकर गुजरेगी

■ विष्णु मनोहर और मोहन पांडे, भारत में संभालेंगे समन्वयक की जिम्मेदारी

नागपुर समाचार : देशभर में प्रसिद्ध पंढरपुर स्थित श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर और वारी की कहानी अब दुनिया तक पहुंचेगी। आने वाले वर्षों में लंदन यानि ब्रिटेन में श्री विठ्ठल रुक्मिणी का भव्य मंदिर बनाया जानेवाला है। इसी उद्देश्य से 15 अप्रैल 2025 से जून 2025 तक पंढरपुर से लंदन तक दुनिया की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय दिंडी का आयोजन किया जाएगा। 16 अप्रैल को दिंडी नागपुर पहुचेगी और विष्‍णु जी की रसोई में शाम 5 बजे से दर्शन के लिए रखी जाएगी। 

लंदन स्थित श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर की टीम इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही है। नागपुर के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शेफ विष्णु मनोहर, प्रबंधन विशेषज्ञ और एलआईटी विश्वविद्यालय के प्रधान सलाहकार मोहन पांडे मंदिर समिति के सदस्य हैं और भारत में समन्वयक होंगे। उन्हें भारत में धन/निधी जुटाने और अन्य समन्वय से संबंधित जिम्मेदारियां दी गई हैं।

शेफ विष्णु मनोहर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, “अमेरिका, यूरोप, लंदन में इस्कॉन, अक्षरधाम, बालाजी जैसे कई भारतीय मंदिर हैं, साथ ही विदेशों में राजस्थान के देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, लेकिन पंढरपुर के संत साहित्य की इतनी पुरानीपरंपरा वाला कोई मंदिर नहीं है।” इसी कारण से, वारि को विदेशो में ले जाने के लिए यह पहल की जा रही है। मैंने वारी के प्रेम, आत्मीयता और सद्भाव का अनुभव किया है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि विश्व को इसका लाभ मिले। विदेशों में मॉरीशस, जर्मनी और न्यू जर्सी में भारतीय मंदिर हैं, लेकिन वहां वारी परंपरा का, भगवान पांडुरंग का कोई मंदिर नहीं है, यह मराठी लोगों का अफसोस रहा है।

इस अवसर पर मोहन पांडे ने दिंडी यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वास्तव में देखा जाए तो दिंडी की पादुकाएं विमान से लंदन तक जा सकती हैं, लेकिन भगवान के प्रती भक्ति एवं समर्पण की निशानी के रूप में लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा करनेवाले है। इसके लिए यह दिंडी लगभग 22 देशों से होकर 18,000 किलोमीटर की यात्रा करेगी और भक्ति की परंपरा भारत से बाहर तक पहुंचाएगी। यह पादुका 15 अप्रैल को पंढरपुर से रवाना होगी। 18 अप्रैल को नेपाल, चीन, रूस और यूरोप सहित 22 देशों से होते हुए पादुका 70 दिनों में 18,000 किलोमीटर की यात्रा वाहन से संपन्न करेगी। इस वारी की खुशबू बाईस देशों से होकर पूरे विश्व में फैलेगी। पंढरपुर की श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर समिति ने इसके लिए पूरा सहयोग किया है और कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेलके और अध्यक्ष गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने उत्कृष्ट योजना बनाई है, ऐसा मोहन पांडे ने बताया।

राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद उदयनराजे भोसले, एमआईटी के विश्वनाथ कराड और वारकरी समुदाय के सदस्यों ने इस पहल के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की हैं और आश्वासन दिया है कि वे हर संभव मदद प्रदान करेंगे। ब्रिटेन, खाड़ी, जर्मनी, आयरलैंड और अमेरिका के 48 से अधिक मराठी मंडल इसमें शामिल हो रहे हैं और जल्द ही एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। इस अवसर पर तमिल, कन्नड़, गुजराती और तेलुगु भक्त भी शामिल हो रहे हैं। ये लोग मराठी नहीं जानते लेकिन अभंग गा सकते हैं। इस माध्यम से महाराष्ट्र राज्य की सातसौ साल पुरानी परंपरा, राज्य के आराध्य देवता श्री विठ्ठल की पादुका के रूप में, दुनिया तक पहुंचने जा रही है।

विट्ठल पाटिल ने एक किलो चांदी दान कर इस शुभ आयोजन को शुभकामनाए दी है, तथा प्रसिद्ध कीर्तनकार चारुदत्त आफले ने भी पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर मैनचेस्टर, यूके से प्रसिद्ध आईटी उद्यमी संग्राम वाघ, नागपुर से पर्यावरण विशेषज्ञ और उद्यमी उत्कर्ष खोपकर, उद्यमी मिलिंद देशकर, विजय जठे विशेष रूप से उपस्थित थे।

पत्रकार परिषद में विष्णू मनोहर, मोहन पांडे, संग्राम वाघ और विजय जथे उपस्थित थे।

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