
नागपुर : कोरोना के कारण बुराई के प्रतीक के रूप में पोले के पाड़वे के दिन नगर में निकलने वाला पारम्परिक मारबत-बड़ग्या का जुलूस बुधवार को नहीं निकला. मराठी श्रावण माह के समाप्त होते ही तान्हा पोला के दिन ‘इडा-पीडा घेऊन जा गे मारबत’ गूंज कानों में गूंजती है. कोरोना के कारण इस वर्ष सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा है. इस कारण 13 दशकों से चली आ रही मारबत-बड़ग्या के जुलूस की परंपरा इस वर्ष खंडित हुई. मारबत व बड़ग्ये के माध्यम से दिए जाने वाले संदेशों के साथ निकलने वाले जुलूस को देखने हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं.
पीली मारबत का इस वर्ष 136वां वर्ष व काली मारबत का यह 140वां वर्ष था. परंपरा खंडित न हो इसलिए पीली मारबत उत्सव कमेटी, तरहाने तेली समाज, मारबत नागोबा देवस्थान, जागनाथ बुधवारी द्वारा निकाली जाने वाली पीली मारबत का दहन नाईक तालाब परिसर व काली मारबत उत्सव कमेटी की काली मारबत का नेहरू पुतला के पास मैदान में दहन किया गया.