नागपुर: सोमवार 6 दिसम्बर 2021 को प्रभु राम के अतिप्रिय भोले शंकरजी के दिन को यादगार बनाते हुए, साहित्योदय साहित्यिक संस्था ने रचा एक इतिहास। २६ घंटे लगातार साहित्योदय जन रामायण अखंड काव्यार्चन का भक्तिमय प्रवाह सफलतापूर्वक 6 दिसम्बर को सुबह संपन हुआ। जिसमे देश विदेश से २५० से अधिक रचनाकारों ने प्रभु राम के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की अपनी स्वरचित मौलिक कविताओं के द्वारा तथा इस पुनीत कार्य के लिए Golden book of world record” में अपना नाम भी दर्ज कराने में सफल रही।
इसके के लिए साहित्योदय के अध्यक्ष श्री पकंज प्रियमजी,नंदिता शर्माजी,प्रिया शुक्ला जी तथा सभी टीम सदस्यों ने अथक प्रयास किया।
नागपुर से पूनम तिवारी “हिंदुस्तानी”विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम उड़ान मंच की संयोजिका ने सत्र-२४ का संचालन का भार संभाला जिसमे प्रयागराज से सुशी प्रयागराज जी,बिहार से शैलेश गुप्ता,हिमाचल से हिरा सिंह कौशल, लखनऊ से साधना मिश्र विंध, नागपुर से वरिष्ठ साहित्यकारा हेमलता मिश्र मानवी,समरूपन की अध्यक्षा मधु सिंघी जी, ओजस्वी वक्ता विशाल खर्चवाल जी ने अपनी प्रस्तुति दी।सत्र-२३ के संचालक भी नागपुर से ही थे डॉ मधुकर लारोकरजी तथा इसमे सम्मिलित कवयित्री मुख्याध्यापक अंजू भुटानीजी, संस्कृत की विभागाध्यक्ष रंजना श्रीवास्तव जी, हिन्दी की अध्यापिका माधुरी मिश्रा जी ने अपनी प्रस्तुति दी।
प्रख्यात साहित्यकार श्री बुद्धिनाथ मिश्र जी के आशीष से इस काव्यधारा का आरंभ किया गया ।हास्य कवि अरूण जेमिनीजी तथा सुरेंद्र शर्माजी के साथ २६ हस्ताक्षरों को मुख्य अतिथि के तौर पर निमंत्रित किया गया था।
इस नेक कार्य के लिए मै साहित्योदय के संस्थापक तथा इस अखंड काव्यार्चन के मुख्य संयोजक आ. पंकज प्रियमजी तथा उनकी टीम नंदिता शर्माजी,प्रिया शुक्ला जी का अशेष अभिनंदन।
पवित्र भूमि की चरण धुलि को तिलक करू।
पवित्र तिलक पर नाज़ करू, अभिमान करू।
है जो जन्मभूमि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की।
भरत, लक्ष्मन, शत्रुघ्न,जैसे अनुज महान की।
श्रीरामायण की जननी श्रीनायक चार की।
सरयू के तीरे बसे,ऐसे अयोध्या धाम की।
——पूनम तिवारी हिंदुस्तानी