- नागपुर समाचार

स्कूल की 15% शुल्क कटौती का मेस्टा ने किया विरोध, नेताओ की बयानबाजी को बताया पॉलिटिकल स्टंट, सरकार दे हम स्कूल संचालकों को मुवावजा।

नागपुर. पिछले दिनों पालक संगठनों की मांग के बाद राज्य सरकार ने स्कूल संचालको को 15% फीस काम करने का निर्णय लिया जिसका विरोध “महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी असोसिएशन” ने किया इतना ही नही उन्होंने न्यायालय में इस निर्णय को चुनौती भी देदी।
पिछले दिनों गड़करीजी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर फीस में 25% तक कटौती करने की अपील की थी. इसके बाद विभागीय शिक्षा उप संचालक वैशाली जामदार ने शिक्षाधिकारियों को पत्र जारी कर स्कूलों से 25 फीसदी फीस कटौती करने संबंधी आहवान किया था लेकिन महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टीज असोसिएशन (मेस्टा) ने इसे विभाग का निर्णय मान लिया है. यही वजह रही कि मेस्टा के अध्यक्ष संजय तायडे पाटिल ने विभागीय उप संचालक के खिलाफ न्यायालय में जाने और जामदार को निलंबित करने तक की मांग कर डाली. इतना ही नहीं मेस्टा ने फीस कटौती के बारे में केंद्रीय मंत्री गडकरी की भी अप्रत्यक्ष रूप से की सलाह का विरोध किया और इसे पॉलिटिकल स्टंट बताया.

पत्रकारों से चर्चा में तायडे ने बताया कि सरकार ने एकतरफा निर्णय लेते हुए 15 फीसदी शुल्क कटौती कर दी. वहीं दूसरी ओर शिक्षा उप संचालक ने 25 फीसदी कटौती की बात कर संभ्रम की स्थिति निर्माण कर दी है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किन पालकों को फीस कटौती में राहत दी जाये. साथ ही बची हुई 75 फीस मिलेगी ही, इसकी भी कोई गारंटी नहीं दी है. शिक्षा राज्यमंत्री बच्चू कडू पर हमला करते हुए तायडे ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों को निशाना बनाया जा रहा है. सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती. इस हालत में स्कूल चलाना मुश्किल हो गया है. यदि यही स्थिति रही तो प्राइवेट स्कूल बंद करने की नौबत आ जाएगी.

शिक्षा विभाग में तालमेल का अभाव

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के आग्रह पर विभागीय उप संचालक ने 25 फीसदी फीस कटौती करने के बारे में शिक्षाधिकारियों को पत्र भेजा है. पत्र में निर्देश की बजाय आहवान शब्द इस्तेमाल किया गया है. यह पूछने पर कि क्या मेस्टा गडकरी के ‘आग्रह’ का भी विरोध कर रहा है, तो तायडे का कहना था कि नेताओं का काम ही लोगों को खुश करना होता है लेकिन शिक्षा उप संचालक को प्रशासकीय स्तर पर यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. उनका निर्णय क्या राज्य सरकार का निर्णय है, यह भी सवाल उपस्थित किया. उनका सीधा आरोप है कि शिक्षा विभाग में ही आपसी तालमेल का अभाव है. इस वजह से प्राइवेट स्कूलों की मुश्किलें बढ़ रही है.

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