नागपुर समाचार : २ सितम्बर २०२५ को महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल करने के लिए जारी किया गया सरकारी आदेश (जीआर) ओबीसी, व्हीजेएनटी और एसबीसी समाज के अस्तित्व पर सीधा प्रहार है। इस आदेश से शिक्षा, नौकरी और राजनीति में आरक्षण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इसी विरोध में नागपुर प्रेस क्लब में सर्वपक्षीय ओबीसी, व्हीजेएनटी और एसबीसी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह जीआर केवल एक शासकीय आदेश नहीं बल्कि ओबीसी समाज के अधिकारों पर खुलेआम डाका है। संघर्ष से हासिल आरक्षण, नौकरियों में प्रतिनिधित्व और शिक्षा-राजनीति में भागीदारी को सरकार ने एक झटके में छीन लिया है। यह कदम ओबीसी समाज को हाशिए पर धकेलने की साजिश है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
बैठक में पारित ठरावों में प्रमुख मांगें थीं – मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल करने वाला २ सितम्बर का जीआर तत्काल रद्द किया जाए। ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के सिद्धांत पर जातिनिहाय जनगणना कर आरक्षण तय हो। ओबीसी समाज को जनसंख्या के अनुपात में शिक्षा, नौकरी और राजनीति में आरक्षण मिले। ओबीसी कल्याण योजनाओं के लिए निधि बढ़ाई जाए और रोके गए काम तुरंत शुरू किए जाएं। मराठा समाज को झूठे कुणबी प्रमाणपत्र देने की साजिश रोकी जाए और अब तक जारी सभी फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह अन्यायपूर्ण निर्णय वापस नहीं लिया, तो ओबीसी समाज सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगा। बैठक में जिले और तालुका स्तर की कई ओबीसी संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे और एक स्वर से सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। “यह लड़ाई केवल आरक्षण की नहीं बल्कि ओबीसी समाज के अस्तित्व की है, इसलिए हर भाई-बहन को संगठित होकर इसमें भाग लेना होगा,” ऐसा आवाहन भी बैठक से किया गया।




