
महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने फडणवीस और राज ठाकरे की मिलीभगत
नागपुर समाचार : शिक्षा विभाग के नए जीआर के बाद राज्य में फिर एक बार हिंदी पर विवाद बढ़ गया है। राज ठाकरे सहित उद्धव ठाकरे लगातार निर्णय का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस नेता नाना पटोले ने विवाद खड़ा करने के पीछे राजनीतिक साजिश बताया है। पटोले ने कहा कि, “हिंदी को अनिवार्य बनाना आगामी नगरपालिका, नगर निगम और जिला परिषद चुनावों की पृष्ठभूमि में राजनीतिक ध्यान भटकाने की योजना है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की मिलीभगत है।”
आगे बोलते हुए नाना पटोले ने कहा कि मराठी भाषा की संस्कृति को बचाए रखना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदी को पहली कक्षा से छात्रों पर बोझ नहीं बनाया जाना चाहिए; लेकिन हिंदी भाषा विवाद को शैक्षणिक मुद्दा न बनाकर राजनीतिक रूप दे दिया गया है। कुछ दिन पहले सरकार ने कहा था कि पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य नहीं की जाएगी; लेकिन मुख्यमंत्री के राज ठाकरे से मिलते ही विवादित जीआर कैसे सामने आ गया?
वोट विभाजन के लाभ के लिए हो रहा
नाना पटोले ने कहा कि इसके पीछे की मंशा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वोटों को विभाजित करना और भाजपा और मनसे को लाभ पहुंचाना है, और यह “मैं जैसा मारूं वैसा कर, तुम वैसा कर” वाला मामला है। इस मुद्दे के पीछे महागठबंधन सरकार की राजनीति है और फडणवीस और राज ठाकरे दोनों का ही विद्यार्थियों की शिक्षा और भाषा से कोई लेना-देना नहीं है।
बैठक के बाद जीआर कैसे आया?
नाना पटोले ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की बैठक के बाद ही हिंदी भाषा के लिए सरकार का आदेश कैसे आया, इसके पीछे एक साजिश है और इसके पीछे फडणवीस और राज ठाकरे की मिलीभगत है। राज्य में इस समय कई ज्वलंत मुद्दों को नजरअंदाज करने के लिए हिंदी भाषा विवाद को उठाया गया है।
महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश
नाना पटोले ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी और महंगाई बहुत ज्यादा है। लोगों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है और सरकार के पास पैसा नहीं है। वह इसका जवाब भी नहीं दे सकती। इसके लिए जानबूझकर हिंदी भाषा विवाद को सामने लाया गया है। बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और हर तरफ से किसान कर्ज माफी की मांग की जा रही है।