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प्राइवेट हास्पिटल को हिदायत , बीमा वालों को नकद शुल्क के लिए बाध्य न करें 

नागपुर : बार-बार संसाधनों को बेहतर बताने वाले नेताओं, अधिकारियों की पोल रोज खुल रही है। जांच केंद्रों से लेकर अस्पतालों की अव्यवस्थाएं किसी से छुपी नहीं है। अचानक अस्पतालों पर बढ़े दबाव को झेलना आसान भी नहीं है। बावजूद इसके डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ हरसंभव अपना फर्ज निभा रहे हैं। परंतु मनपा के जांच केंद्रों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही। इसी बीच, मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल तैयार हैं, मानव संसाधन कम पड़ रहा है। और डॉक्टरों की जरूरत है। शहर में 20 कोविड अस्पतालों को पहले ही अनुमति दी गई है। इसे बढ़ाकर अब 51 कर दिया गया है।

मृत्यु का आंकड़ा कम करना प्रशासन का लक्ष्य है। जो भी निजी अस्पताल कोविड सेवा देने के लिए आगे आएंगे, उन्हें अनुमति दी जाएगी। फिलहाल उपलब्ध बेड संख्या दोगुना करने का आह्वान किया। आईएमए से पहल कर अस्पतालों की सूची भेजने पर 24 घंटे में कार्यादेश जारी करने की आयुक्त ने भरोसा दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि जिनका बीमा है, उन्हें नकद शुल्क जमा करने के लिए बाध्य न करें। उन्हें “कैशलेस’ उपचार उपलब्ध कराएं।

निजी अस्पतालों की सहभागिता जरूरी : आयुक्त सभागृह में बुलाई गई बैठक में महापौर संदीप जोशी और आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने मृत्युदर कम करने पर जोर दिया। महापौर ने कहा कि निजी अस्पतालों की सहभागिता बढ़नी जरूरी है। बैठक में उपमहापौर मनीषा कोठे, स्थायी समिति अध्यक्ष विजय झलके, स्वास्थ्य समिति सभापति वीरेंद्र कुकरेजा, अतिरिक्त आयुक्त जलज शर्मा, राम जोशी, संजय निपाणे आदि उपस्थित थे। 

प्रतिदिन 5 हजार जांच : महापौर ने कहा कि आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर महीने में मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इस स्थिति का सामना करने के लिए प्रतिदिन 5 हजार जांच की क्षमता की गई है। 50 जांच केंद्र खोले गए हैं। 

डॉक्टरों के सुझाव : डॉक्टरों ने कहा कि बिना मास्क लगाए लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। निजी अस्पतालों में बेड तो हैं, पर कर्मचारियों की कमी है। मनपा के स्तर से अगर कर्मचारी उपलब्ध कराए जाते हैं तो सेवा दी जा सकेगी। डॉक्टरों ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की आरटीपीसीआर टेस्ट होना आवश्यक है। इनके लिए मनपा को अलग से अस्पताल की व्यवस्था करनी चाहिए। बैठक में शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, मेयो अस्पताल, आईएमए व निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स थे।

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