
नागपुर : शहर में कोरोना का संक्रमन थमने का नाम नही ले रहा है. हर दिन नए मामले सामने आ रहे है. कोरोना का खौफ ऐसा है कि निजी अस्पताल के डॉक्टर किसी भी मरीज को भर्ती नही कर रहे है. जिसक चलते सैकड़ों नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मरिजों को मेयो और मेडिकल अस्पताल में ही भर्ती होना पड़ रहा. है. और कुछ नामचिन निजी अस्पताल मनमानी तरिके से मरीजों से बिल वसूल रहे है. शहर में कल 60 वर्षीय मोहम्मद मतीन नामक व्यक्ति के परिजन चार घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे. 6 अस्पतालों में जाने के बाद भी उन्हें भर्ती नही किया गया. आखिरकार कार में उन्होंने दम तोड़ दिया. परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें कामठी के निजी. अस्पताल में भर्ती किया था. लेकिन वहां सांस तेजी से चलने की वजह से डॉक्टर ने इलाज नही कर पाने की बात कर मेयो अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी.
धंतोली के एनआरपीएल लैब में नियमों की उड़ रही धज्जियां…
धंतोली स्थित एनआरपीएल लैब में इन दिनों कोरोना की टेस्ट करवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी है. लेकिन यहां पर नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है. एक मरिज अपने परिवार के साथ अलग-अलग दिन कोरोना की टेस्ट करने के लिए गया था. यहां पर कोरोना टेस्ट करते समय स्वैब लेने के लिए नाक से गले तक जो नली डाली जाती है. उस नली को निकालने के बाद आधी नली तोड़कर परिचारिका अपने पास रखती है. और आधी डस्टबीन में डालने के बजाय कहीं पर भी फेंक दे रही है. तीन-तीन दिन तक यहां पर साफ-सफाई नही हो रही है. एक मरिज पहले दिन अपनी पत्नी और खुदकी टेस्ट करने गया.तो पहले दिन उनके सामने ही नली पड़ी हुई थी. वो दुसरे दिन अपनी पुत्री को लेकर गया तो नली और अन्य सामग्री भी वहीं पड़ी थी. तीन दिन तक ऐसे ही कचरा पड़ा रहा. लेकिन किसी ने भी उसे साफ नही किया. यहां पर 300 रुपए हर मरीज से पीपीई किट के नाम पर वसुले जा रहे है. सुबह एक किट पहना हुआ डॉक्टर दिन भर वैसे ही रहता है. वह किट बदलता नही. फिर हर मरीज से पीपीई किट के नाम पर पैसे क्यों वसुले जा रहे है? हैन्डग्लोज भी पहने हुए नर्स एकही हैंडग्लोज से सभी मरीजों की टेस्ट करवाती है. ऐसे में किसी को कोरोना का संक्रमण रहा तो दूसरे लोगों को भी उसका संक्रमण हो सकता है.