नागपुर समाचार : शहर के संस्थापक गोंड राजा बख्त बुलंदशाह की ऐतिहासिक श्मशान भूमि पर वक्फ के नाम पर कब्जे की कथित साजिश ने नागपुर में गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है। बताया जाता है कि लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में फैली यह भूमि गोंड राजवंश की पारिवारिक समाधि स्थल है, जहां राजा के कई पूर्वजों की कब्रें निर्मित हैं। ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी यह भूमि गोंड राजपरिवार की ही मानी गई है। अंग्रेज शासनकाल के 1892 के पुरातत्व अभिलेख व पुराने सातबारा नोंद में 2022 तक यह जमीन राजे वीरेंद्र शाह के नाम से दर्ज है।
इसके बावजूद कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा इस भूमि को वक्फ संपत्ति बताकर उस पर दावा किए जाने की जानकारी सामने आई है। दो वर्ष पूर्व इसी भूमि पर राजघराने की सदस्य रानी मनोरमादेवी शाह का दफन नागपुर जिलाधिकारी की अनुमति से किया गया था, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह जगह पारंपरिक रूप से श्मशान भूमि ही है। इसके बावजूद वक्फ के नाम पर कब्जे की कोशिशों ने स्थानीय समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है।
2012 में भी ऐसा प्रयास किया गया था, जिसे तत्कालीन स्थायी समिति अध्यक्ष द्वारा निरस्त कराया गया था। वर्तमान में नासुप्र लगभग 8 करोड़ रुपये की लागत से इस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण करा रहा है, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और मजबूत हो जाता है। भूमि अभिलेख विभाग के SLR ने भी 2024 में मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी थी, बावजूद इसके दोबारा दावा किया जा रहा है।
अपीलकर्ताओं का तर्क है कि गोंड राजा ने मस्जिद बनवाई थी, इसलिए वे मुस्लिम थे। जबकि ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि उन्होंने सौंसर में विशाल शिव मंदिर का निर्माण करवाया था और आज तक पूरे राजपरिवार के विवाह व अंतिम संस्कार सनातनी परंपरा से ही होते हैं।
स्थानीय नागरिकों व गोंड समाज ने जिलाधिकारी से भूमि राजघराने के नाम पुनः दर्ज करने की मांग की है। चेतावनी दी गई है कि यदि हस्तक्षेप नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।




