नागपुर।
जैन समाज का त्याग और आत्म साधना पर्व कहे जानेवाला पर्युषण पर्व से शुक्रवार को पूरे श्रद्धा, भक्ति और थाट बांट के साथ प्रारंभ हुआ.
कोविड – 19 के नियमों के अधीन राज्य के सभी धार्मिक स्थल फिलहाल बंद हैं. लगातार दूसरे वर्ष बंद रहने से जैन धर्मियों को घर में व्रत वैफल्य, धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, अभिषेक घर घर में हो रहे हैं. मंदिर आम भक्तों के लिए पूरी तरह बंद हैं. मंदिरों में केवल मंदिर के पदाधिकारी और पुजारी आकर जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर चले जाते हैं.
पर्युषण पर्व में अनेक महिला – पुरुष बच्चे मंदिर में जाकर जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक देखने के बाद ही पानी या अन्य चीज ग्रहण करते हैं उनकी निराशा हुई हैं. पर्युषण पर्व में अनेक व्रतों का पूजन मंदिर में ही होता हैं वह घर में नहीं हो सकता. अनेक जैन भक्त पर्युषण पर्व ऑनलाइन सीधे प्रसारण के माध्यम से अभिषेक देखकर पूजन कर रहे हैं.
अधिकांश भक्तों के घर में जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा नहीं होने से उन्होंने नाराजगी जताई हैं. अनेक भक्त मंदिर आये लेकिन उन्हें मंदिर बंद होने से निराश होकर वापस लौटना पडा.
जैन आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरूदेव और आचार्यश्री पुलकसागर जी गुरूदेव ने भक्तों से कहा हैं सभी कोविड – 19 के नियमों का शासन और स्थानीय प्रशासनो के निर्देश का पालन करें. आपके घर को ही मंदिर बनाये. घर मंदिर बन जाने से घर का वातावरण प्रफुल्लित और भक्तिमय रहेगा.
श्री. पार्श्वप्रभु दिगंबर सैतवाल जैन मंदिर संस्था के अध्यक्ष दिलीप शिवणकर ने शासन के निर्णय पर नाराजगी बताते हुए कहा पर्युषण पर्व जिसे दशलक्षण पर्व कहते जैन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार हैं. इस काल अनेक भक्त मंदिर में पूजन, अभिषेक देखने आते हैं. कुछ भक्तों का नियम ऐसा रहता हैं अभिषेक देखने और देखने के बाद ही पूजन करने के बाद पानी, अन्य चीज ग्रहण करते हैं.
शासन और स्थानीय प्रशासन ने कोविड – 19 के नियमों का पालन और मंदिरों का समय सीमा निश्चित कर हमें मंदिर खोलने की अनुमति देना था. पिछले वर्ष से मंदिर आर्थिक चक्र रुक गया हैं. सरकार मंदिरों से इलेक्ट्रिक बिल, पानी बिल और अन्य टैक्स ले रही हैं. मंदिर के पदाधिकारियों ने क्या करना ? सरकार ने मंदिर के इलेक्ट्रिक बिल, पानी बिल और अन्य टैक्स माफ करना चाहिए.