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नागपुर : हम मंदिर में नहीं जा सकते है इसलिए महावीर को बुलाना हैं. महावीर को बुलाना समय की मांग हैं यह उदबोधन सर्वोदयी संत सारस्वताचार्य देवनंदीजी गुरूदेव ने विश्व शांति अमृत महोत्सव के अंतर्गत श्री. धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन धर्मसभा में दिया.
आचार्य भगवंत ने धर्मसभा में कहा महावीर आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं, आज से 2500 वर्ष पूर्व प्रासंगिक थे. महावीर को हम कभी विस्मृत नहीं कर सकते महावीर को भूलने का तात्पर्य हमने अपने जैन संस्कृति को भुला दिया. जैनत्व का ऋणानुबंध चुकाने के लिए जैन परिवार और जैन समाज में मैंने जन्म लिया हैं. इसका स्वाभिमान, गौरव दिखाने के लिए हमें महावीर का अनुयायी सिद्ध करने के लिए, महावीर के प्रति अपनी भक्ति, श्रद्धा, समर्पण के साथ उनके सिद्धांतो अनुकरण करना हमारे लिए परम आवश्यक हैं. हम महावीर के सिद्धांतों को अपनाते हैं, लाते हैं तो हमारे लिए वह दिन दूर नहीं जो दिन महावीर ने प्राप्त किया था. वह स्थान दूर नहीं हैं, वह महावीर ने प्राप्त किया था, वह शांति दूर नहीं हमारे लिए महावीर ने प्राप्त किया. वैश्विक समस्या के मुक्ति पाने के लिए यदि कोई हमारे लिए मार्ग दिखता हैं तो भगवान महावीर हो सकते हैं, उनके सिद्धांत हो सकते हैं. आज सरकार चाहे जो भी कर ले, कितनी भी वैक्सीन तैयार कर ले तब भी हमारे इस संकट से उभर नहीं सकती हैं. इस समाज को संकट से उभरने के लिए समस्त दुखों का अंत करना हैं तो सबसे अच्छा उपाय जिनेन्द्र भगवान की वीर वाणी हैं. यह वाणी मुख से नहीं ली जाती हैं.
वीर वाणी अमृत अपने कर्णेंद्रिय से श्रवण की जाती हैं, कानो से इसे अंदर उतारा जाता हैं. जब तक महावीर के वाणी को अंदर नहीं उतारेंगे तब तक हमारे लिए उसका असर नहीं होगा. आज यह हो रहा हैं लोग सुनते तो हैं, लोग करते तो हैं किंतु मेडिसिन गले में रख ले और गले के अंदर नहीं उतारे तो दवाई का कोई असर नहीं होता हैं.
महावीर का चित्र हृदय में उतार लेंगे उस दिन चरित्र सुधर जाएगा. महावीर की तसवीर हृदय में विराजेंगे उस दिन तकदीर बन जाएगी. महावीर के चित्र को घर मंदिर के अलावा मन मंदिर में लगाये. हमें घर में गुरु को बुलाना हैं, दिगंबर आचार्य, साधु को बुलाना हैं तो पहले हम अपने घर को साफसुथरा करते हैं, उसे जल से सिंचित करते हैं, रंगोली निकालते हैं, फूलों से सजाते हैं और भक्तिपूर्वक गुरु का आवाहन अपने घर में करते हैं. हम किसी व्यक्ति विशेष के अनुयायी बनते हैं तो वह खुद भी डूबेगा और दूसरों को भी डुबायेगा. हम किसी साधु विशेष के पूजक नहीं, किसी आचार्य के पूजक नहीं, किसी अरिहंत विशेष के पूजक नहीं बल्कि हम गुणवत्ता के पूजक हैं. पंथ हमें भटका देंगे. हम आर्षमार्गी हैं, हम सब आगममार्गी हैं, जिनागम अनुयायी हैं. जहां पंथ आएगा वहां लोग भटक जाएंगे. आगम में जो कुछ हैं वह हमें करना चाहिए. आगम में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए. आगम यह कहता हैं न जादा करना, न कम करना और ना विपरीत करना, जैसा हैं वैसा स्वीकार करो. आज कुछ कतिपय लोग महावीर को मानते हैं पर महावीर की नहीं मानते.
महावीर का संदेश अपनानेवाला अमरत्व को प्राप्त करेगा- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी
प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरूदेव ने कहा उपदेश के बिना सम्यक श्रद्धान हो नहीं सकता. गुरु के बिना तत्वज्ञान हो नहीं सकता. आचार्यश्री देवनंदीजी जगत कल्याण के लिए प्रयास कर रहे हैं. देवनंदीजी के प्रेरणा से आर्षमार्ग पर चलनेवाले का बल बढ़ता हैं. भगवान महावीर का संदेश अमरत्व को प्राप्त करेगा. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया.
वैज्ञानिक धर्माचार्य कनकनंदीजी गुरूदेव के 26 वे पदारोहण दिवस पर महापूजा और चरण प्रक्षालन भक्तों ने किया.