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नागपुर : फाईलों में बंद मोबाइल टावर अभियान

उदासीनता, न प्रशासन और न ही पदाधिकारी ले रहे संज्ञान 

नागपुर : शहर के लगभग हर हिस्से में बहुमजिला इमारतों पर मोबाइल टावर तो लगे हैं, लेकिन इस पर किसी का बंधन दिखाई नहीं दे रहा है. जिन इमारतों पर टावर लगे है. ऐसी इमारतों के नक्शों में मोबाइल टावर के लिए मंजूरी गई ली या नहीं, इसकी जानकारी लेकर यदि मंजूरी नहीं ली गई, तो टावर को अवैध करार देकर शीघ्र कारवाई का अभियान शुरू करने के दिए निर्देशों को लगभग डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत गया, किंतु ना तो प्रशासन और ना ही पदाधिकारियों की ओर से इस संदर्भ में संज्ञान लिया जा रहा है. 

फलस्वरूप अवैध रूप से निर्मित किए गए मोबाइल टावर का संचालन बेरोकटोक निर्भयता से चला आ रहा है. उल्लेखनीय है कि स्थापत्य समिति में रहे भाजपा के वरिष्ठ पार्षद संजय बंगाले की ओर से 28 मई 2018 को विभाग की बैठक लेकर इस संदर्भ में निर्देश दिए गए थे. बैठक के बाद इस संदर्भ में किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई. जबकि अब पूरा जांच अभियान फाइलों में बंद हो गया है.

15 दिनों में देनी थी पूरी जानकारी

नगर रचना के सहायक संचालक प्रमोद गावंडे का मानना था कि मोबाइल टावर को लेकर हाई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों के कारण कार्रवाई रुकी हुई है. विभाग से दिए गए स्पष्टीकरण के बाद मनपा के विधि विभाग और मनपा आयुक्त से चर्चा कर 15 दिनों में पूरी जानकारी समिति के समक्ष रखने की हिदायत दी गई थी. किंतु आलम यह है कि डेढ वर्ष बीत जाने के बाद भी 15 दिन का समय पूरा नहीं हो पाया है. सभापति का मानना था कि मोबाइल टावर का निर्माण स्वतंत्र निर्माण कार्य होने के कारण मोबाइल टावर कम्पनी को अवैध निर्माण की नोटिस दी जानी चाहिए. इन टावर पर अलग-अलग प्रावधानों के अनुसार जुर्माने की कार्रवाई संभव होने पर उसका आकलन करने के निर्देश भी दिए थे.

मुख्यालय-जोन एक दूसरे पर थोप रहे नाकामी 

  • आश्चर्यजनक यह है कि मोबाइल टावर के सदर्भ में स्थापत्य समिति द्वारा पहले ही दिए गए निर्देशों के अनुसार क्या कार्रवाई की गई.
  • इसका लेखा-जोखा तो मांगा गया. किंतु अधिकारियों की ओर से इस संदर्भ में लीपापोती से अधिक कुछ नहीं किया गया.
  • मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने हमेशा की तरह जोनल कार्यालय पर जिम्मेदारी थोपते हुए अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाइ लिया. 
  • अधिकारियों का मानना था कि इस तरह की जानकारी जोनल कार्यालय को रखना है.
  • जिसके बाद यदि कार्रवाई करना हो, तो मुख्यालय के संज्ञान में लाकर कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है. जोनल कार्यालय की और से डाटा उपलब्ध नहीं कराने के आरोप भी लगाए गए.
  • अधिकारियों की आपसी खीचतान का आलम यह है कि पूरी कार्रवाई ठंडे बस्ते में है.

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