नागपुर समाचार : निर्माण क्षेत्र में व्यावहारिक समस्याओं को समझने की आवश्यकता है। साथ ही, वैकल्पिक निर्माण सामग्री की मदद से निर्माण लागत को कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने निर्माण क्षेत्र के इंजीनियरों और हितधारकों से गुणवत्ता से समझौता किए बिना पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ निर्माण करने की अपील की।
सिविल ‘फोरेंसिक इंजीनियरिंग’ पर दो दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का उद्घाटन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की नागपुर शाखा द्वारा किया गया। गडकरी इस अवसर पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स एमएसई के अध्यक्ष ए. डब्ल्यू, जवांजल और इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कोठारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
भवन निर्माण के क्षेत्र में नई तकनीक के बारे में बोलते हुए गडकरी ने कहा, ‘वर्तमान समय में ‘रोड फैक्ट्री’ की आवश्यकता है और अब ‘प्री-कास्ट’ सामग्री की मदद से सड़कों और भवनों का निर्माण करना आवश्यक है। इसलिए, यदि हर जिले में प्री-कास्ट तकनीक का उपयोग किया जाए, तो यह उद्योग के लिए फायदेमंद होगा।
फ्लाईओवर में स्टील फाइबर के उपयोग से दो खंभों के बीच की दूरी कम हो गई है। इससे निर्माण लागत भी कम हुई है।’ वणी वरोरा-जाम में बांस के क्रैश बैरियर लगाने से भी लागत में कमी आई है। मनसर में बायो-बिटुमेन की मदद से १ किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण भी किया गया है। ऐसी टिकाऊ तकनीक की मदद से और पर्यावरण के अनुकूल तथा भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपनाकर निर्माण कार्य करने से दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
‘लाइफटाइम फेलोशिप’ प्रदान
इस अवसर पर गडकरी को इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा फेलोशिप प्रदान की गई। यह ‘लाइफटाइम फेलोशिप’ कृतज्ञता, सम्मान और प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रदान की गई। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के १०५ साल के इतिहास में, गडकरी इस फ़ेलोशिप से सम्मानित होने वाले १२वें पूर्व कर्मचारी हैं।




