दो सितंबर को जारी जीआर को रद्द करने की मांग
नागपुर समाचार : मराठा आरक्षण देने के लिए जारी जीआर के खिलाफ नागपुर में सकल ओबीसी महामार्चा निकाला गया। जारी जीआर रद्द करने की मांग को लेकर यशवंत स्टेडियम से शुरू हुआ मोर्चा संविधान चौक समाप्त हुआ। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार की अगुवाई में आयोजित इस महामोर्चे में कई हजार लोग शामिल हुए।
मार्च का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि, “हम मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम किसी को भी ओबीसी के अधिकारों में दखलंदाज़ी नहीं करने देंगे। इस मार्च में विदर्भ के विभिन्न जिलों से हज़ारों ओबीसी बंधु, सामाजिक नेता और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।”

मार्च में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने का सरकार का फ़ैसला सीधे तौर पर ओबीसी के आरक्षण का अतिक्रमण है। इसलिए, उन्होंने मांग की कि इस जीआर को रद्द किया जाए और ओबीसी के आरक्षण अधिकारों को बरकरार रखा जाए। इस आंदोलन ने राज्य में ओबीसी के ख़िलाफ़ मराठा आरक्षण संघर्ष के फिर से उग्र होने की संभावना पैदा कर दी है।

विदर्भ समेत राज्य भर से ओबीसी मार्च में शामिल
राज्य के ओबीसी समुदाय ने नागपुर में एक भव्य मार्च निकाला। यह मार्च यशवंत स्टेडियम से शुरू होकर संविधान चौक पर समाप्त होगा। इस मार्च में विदर्भ समेत राज्य भर से पदाधिकारी, कार्यकर्ता और हज़ारों नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए। सुबह से ही नागपुर पुलिस ने यातायात व्यवस्था के लिए विशेष प्रबंध किए थे क्योंकि मार्च में भारी भीड़ उमड़ी थी। आयोजकों ने शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से मार्च निकालने की अपील की है।
शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक आरक्षण पर असर
ओबीसी समुदाय के नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार के 2 सितंबर के सरकारी आदेश से ओबीसी आरक्षण की राशि कम होने की संभावना है। आशंका जताई जा रही है कि इस फैसले का ओबीसी की शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक आरक्षण पर असर पड़ेगा। विजय वडेट्टीवार ने स्पष्ट किया कि हम मराठा समुदाय के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी को भी ओबीसी समुदाय के अधिकारों पर कुठाराघात नहीं करना चाहिए। सरकार को मराठा समुदाय के लिए एक स्वतंत्र रास्ता निकालना चाहिए, लेकिन चूँकि मौजूदा सरकारी आदेश ओबीसी के साथ अन्याय कर रहा है, इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
विभिन्न ओबीसी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों और राज्य के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। कई नेताओं ने सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने और ओबीसी समुदाय का विश्वास जीतने की अपील की है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि नागपुर में यह मार्च राज्य में ओबीसी आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।




