नई दिल्ली समाचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- भाजपा और संघ के बीच कोई विवाद नहीं है। हमारे केवल भाजपा सरकार के साथ ही नहीं, बल्कि सभी सरकारों के साथ अच्छे संबंध हैं। सरकार में निर्णय लेने के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि यह कहना गलत है कि संघ सरकार में सब कुछ तय करता है। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन वे निर्णय लेते हैं। अगर हम निर्णय लेते, तो इतना समय नहीं लगता।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के जेल जाने पर उन्हें पद से हटाने संबंधी नए विधेयक पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि नेताओं की छवि साफ-सुथरी होनी चाहिए। इस पर कानून बनाना है या नहीं, यह संसद तय करेगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज कार्यक्रम का अंतिम दिन था, जिसमें प्रश्नोत्तर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
तकनीकी शिक्षा का कोई विरोध नहीं है, लेकिन नई तकनीक का सही उपयोग होना चाहिए। मनुष्य को तकनीक का स्वामी बने रहना चाहिए, तकनीक को मनुष्य का स्वामी नहीं बनना चाहिए। देश की शिक्षा को नष्ट कर दिया गया और एक नई शिक्षा शुरू की गई। विदेशी शिक्षा यहाँ इसलिए शुरू की गई ताकि हम अंग्रेजों के गुलाम बने रहें। अंग्रेज विकास नहीं, बल्कि शासन करना चाहते थे। इसलिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई गई जिससे वे शासन कर सकें। इसलिए अब एक नई शिक्षा नीति लाई गई है।
नई शिक्षा नीति में पंचकोशी शिक्षा की अवधारणा है। जैसे कला, खेल और योग। अपनी संस्कृति के बारे में सिखाना ज़रूरी है। मुख्यधारा को गुरुकुल शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। फ़िनलैंड ने गुरुकुल शिक्षा के मॉडल को अपनाया। भाषाओँ पर बोलते हुए भागवत ने कहा, “अंग्रेजी एक भाषा है, उसे सीखने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हिंदी को सिर्फ़ अंग्रेजी के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए। अगर भारत को जानना है, तो संस्कृत का ज्ञान ज़रूरी है।”
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल जाने के बाद उनके पदों से हटाने संबंधी विधेयक पर भागवत ने कहा कि नेताओं की छवि साफ़ होनी चाहिए। इस पर कानून बनाना है या नहीं, यह संसद तय करेगी। लेकिन नेता की छवि साफ़ होनी चाहिए।
सभी के साथ हमारे अच्छे सम्बन्ध
भाजपा और संघ के रिश्तो पर बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “संघ के न केवल भाजपा सरकार के साथ, बल्कि सभी सरकारों के साथ अच्छे संबंध हैं। हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है। हमें एक-दूसरे पर भरोसा है कि वे जो भी करने की कोशिश कर रहे हैं, अपनी पूरी क्षमता से कर रहे हैं। अगर हम अलग-अलग रास्तों पर भी जाते हैं, तो हमें अलग-अलग नहीं जाना है, हम सभी को एक ही जगह जाना है। यह कहना गलत है कि सरकार में सब कुछ संघ तय करता है। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन फैसले वे ही लेते हैं। अगर हम फैसला लेते, तो इतना समय नहीं लगता।”
उन्होंने आगे कहा, “जब प्रणब मुखर्जी आरएसएस के मंच पर आए, तो आरएसएस के बारे में उनकी ग़लतफ़हमी दूर हो गई। अन्य राजनीतिक दल भी अपनी राय बदल सकते हैं। जो अच्छे काम के लिए मदद मांगते हैं, उन्हें मदद मिलती है। और अगर हम मदद करने जाते हैं और जो मदद नहीं लेना चाहते, उन्हें मदद नहीं मिलती।”