नागपुर समाचार : “एक पल के लिए मैं तुम्हें भूल गया, मेरी आत्मा तुम्हारी उपस्थिति से परेशान है, मेरे बच्चे।”– कुछ इसी तरह की स्थिति थी कारागृह के बंदियों की। जैसे ही उन्होंने अपने बच्चों को देखा, उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। कुछ की जुबान बंद हो गई। मिलन के वे क्षण अत्यंत भावुक थे। बंदियों और उनके बच्चों ने इन पलों को अपने दिल में कैद कर लिया। समय कब बीत गया, किसी को पता ही नहीं चला। विदा लेते समय माता-पिता और बच्चों की आंखें नम थीं, और उन्होंने अश्रुपूरित आंखों से एक-दूसरे को विदा दी।
कारागृह में बंद अधिकांश कैदियों की संचित या सशर्त छुट्टियाँ मंजूर नहीं हो पातीं, जिससे वे अपने परिवार से नहीं मिल पाते। बच्चों से प्रत्यक्ष भेंट न हो पाने के कारण वे मानसिक रूप से टूट जाते हैं। इसीलिए महाराष्ट्र दिवस (1 मई) के अवसर पर कारागृह प्रशासन ने गले मिलने का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में 127 बंदियों के 197 बच्चों ने जेल के भीतर अपने माता-पिता से 30 मिनट तक मुलाकात की।
कारागृह अधीक्षक वैभव आगे, अतिरिक्त अधीक्षक दीपा आगे, उप अधीक्षक श्रीधर काळे और वरिष्ठ जेल अधिकारी आनंद पानसरे ने बच्चों की शैक्षणिक स्थिति और मुलाकात के अनुभवों के बारे में बातचीत की।
बंदियों ने अपने वेतन से बच्चों को खाद्य सामग्री उपहार में दी। अपर पुलिस महानिदेशक (कारागृह एवं सुधार सेवा) जालिंदर सुपेकर और विशेष पुलिस महानिरीक्षक (पूर्व विभाग) के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
‘प्रयास’ सामाजिक संस्था के धनपाल मेश्राम, मीना लाटकर और कृष्णा पाडवी ने विशेष सहयोग दिया। वरिष्ठ लिपिक राहुल बांबल, हवलदार विजय राघोर्ते, गुड्डी बाहेकर, सुबेदार रामदास भोंडे, हवलदार संजय गायकवाड, राजू हाते, संजय तलवारे, राजू मांढरे, राजू टेंभरे सहित कारागृह के सिपाहियों और अन्य कर्मचारियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।