नागपुर समाचार : ‘सुरसप्तक’ संस्था द्वारा 26 अप्रैल को साइंटिफिक ऑडिटोरियम में ‘एक शाम गीतकारों के नाम’ नामक संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें छह गीतकारों – शैलेन्द्र, साहिर लुधियानवी, एसएच बिहारी, इंदीवर, संतोष आनंद और समीर – के मधुर गीतों को सुरसप्तक के गायकों द्वारा प्रस्तुत किया गया। गीतकारों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का नागपुर में यह पहला और अनूठा प्रयोग था। साहित्यकार वर्षा किडे कुलकर्णी एवं प्रो. उज्ज्वला अंधारे द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम के शुरुआत में पहलगाम हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम में ये आँखें देखकर, तू मिले दिल दिले, हमने तुझको प्यार,अभी ना जाओ छोडकर, हर किसी को नहीं मिला, रात के हमसफर, ऐसी दिवानगी, एक प्यार का नगमा, मैं ना भुलुंगा, मधुबन खुशबू, दिवाना हुआ बादल, मुकुल पांडे, डॉ. अमोल कुळकर्णी, आशिष घाटे,निसर्ग राज, अरुण ओझरकर, योगेश देशपांडे, धीरज आटे, आदित्य फडके, पद्मजा सिन्हा, अश्विनी लुले, प्रतिक्षा पट्टलवार, संगीता भगत, अर्चना उचके, अनुजा जोशी, दीपाली पनके ने 28 सुरीले लोकप्रिय गाने पेश किए गए। पूरा ऑडिटोरियम फिल्म ‘द बर्निंग ट्रेन’ के एक गीत ‘पल दो पल का साथ हमारा’ की कव्वाली पर झूमने लगा।
गायकों के साथ वादक परिमल जोशी, दीपक कांबळे, नंदु गोहाणे, प्रमोद बावणे, आशिष घाटे, तुषार विघ्ने, गौरव टांकसाळे भी थे। सुप्रसिद्ध मंच संचालिका शुभांगी रायलू ने सभी छह गीतकारों की ‘गीत यात्रा’ के बारे में संक्षेप में बताया। उनकी व्यावहारिक टिप्पणियों ने कार्यक्रम को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया। बढ़ती गर्मी में सूर्य नारायण ने थोड़ा नरम रूप धारण कर लिया था, जिससे बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे और इन उत्साही प्रशंसकों ने गायकों, संगीतकारों तथा श्रोताओं का वन्स मोअर स्वतःस्फूर्त तालियों से स्वागत किया एवं आनन्द लिया।