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नागपुर समाचार : डेढ़ लाख दीपक से सजेगा “पोद्दारेश्वर राम” मंदिर दरबार

जमनाधरजी पोद्दार द्वारा स्थापित 101 वर्ष पुराना है श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर 

नागपुर समाचार‌ : 22 जनवरी को भगवान राम को अयोध्या में विराजमान किया जाएगा. हम इस उत्सव को पोडारेश्वर मंदिर में बड़े जोरशोर और उत्साह के साथ मनाएंगे. इस अवसर पर सुबह सुंदरकांड का आयोजन किया गया है और डेढ़ लाख दीपों की श्रृंखला जलाई जाएगी. दीप ज्योति के माध्यम से मंदिर की प्रतिकृति, राम दरवार और धर्मरक्षक राम की छवि प्रकट की जाएगी. अयोध्या के ऐतिहासिक उत्सव के मौके पर मनाया जाने वाला दीपोत्सव नागपुर के लोगों के लिए शानदार होने वाला है. श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर के ट्रस्टी पुनीत पोद्दार ने प्रोजेक्ट के बारे में उक्त जानकारी दी.

ऐतिहासिक श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर भी उन कुछ प्रमुख आकर्षणों में से एक है जिसके लिए नागपुर पूरे देश में प्रसिद्ध है. रेलवे स्टेशन से सटे रामझूले से नीचे उतरते समय श्री पोहारेश्वर राम मंदिर की मूर्तिकला का बेहतरीन नमूना देखने को मिलता है. इस मंदिर से पूर्वी भाग को पुराना नागपुर भी कहा जाता है. 8 मार्च, 1923 को जमनाधरजी पोद्दार ने मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा की थी इसलिए इस मंदिर को पोद्दारेश्वर राम मंदिर के नाम से जाना जाता है.

कैसी है मंदिर की संरचना?

मंदिर में प्रवेश करते ही आपको उत्तर दिशा की ओर मुस्ख किए हुए भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता की सुंदर मूर्तियां दिखाई देती हैं. दाहिनी ओर पूर्वमुखी शिव मंदिर है. इस मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग के साथ भगवान कार्तिकेय, गणेश, शेषनाग, पार्वती की मूर्तियां हैं. दक्षिण और पूर्व के बीच के कोने में भगवान हनुमान की एक सुंदर मूर्ति है. इसके अलावा छह खिड़कियों में हनुमान, विष्णु- लक्ष्मी, गरुड़, सुग्रीव, गंगा, महालक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर में मुख्य मूर्ति जयपुर के गोविंदराम उदयराम ने बनाई है. अष्टकोणीय सभागार में आठ संगमरमर के स्तंभ हैं. इस पर मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं. मंदिर के दरवाजे के पास दो शेर की मूर्तियां ध्यान आकर्षित करती है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पीतल और लकड़ी से बनाया गया है.

मंदिर का इतिहास

1872 में जमशेदजी टाटा ने नागपुर में एम्प्रेस मिल की नींव रखी. नाथूरामजी पोद्दार जमशेदजी टाटा के स्वास मित्रों में से एक थे. नाथूरामजी ने नागपुर में मिल की जिम्मेदारी के लिए जमशेदजी टाटा को जमनाधरजी पोहार का नाम सुझाया. मिल की शुरुआत 1877 में हुई थी और तब से 1940 तक जमनाधरजी के पास मिल की एजेंसी थी. जमनाधरजी ने 1902 में धर्मशाला की स्थापना की. उन्होंने धर्मशाला से सटी चिटणवीस परिवार की जमीन खरीदी. वर्ष 1919 में श्रावण मास में रक्षाबंधन के दिन रेलवे स्टेशन के पास इस मंदिर के लिए भूमिपूजन किया गया था. धनी और धार्मिक परिवार के जमनाधरजी पोदार ने इस मंदिर के लिए पहल की, अपने खर्च पर मंदिर का काम शुरु किया. इस मंदिर का निर्माण जयपुर के मूर्तिकारों ने किया था 8 मार्च 1923 को भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इसके लिए काशी से पं. प्रभुदत्त पौरोहित्य करने आए. चूंकि राम का यह मंदिर पोद्दार द्वारा बनवाया गया था, इसलिए इसे पोद्दारेश्वर श्रीराम मंदिर के नाम से जाना जाता है.

अन्नछत्र 60 साल से लगातार चल रहा है

डोंगरेजी महाराज, रामसुखदास महाराज, रामकिंकर महाराज के सान्निध्य से मंदिर काफी फला-फूला, गोविंदगिरि महाराज की पहली कथा पोद्दारेश्वर मंदिर में हुई थी. पिछले 60 वर्षों से मिश्र परिवार मंदिर में निरंतर रामकथा करता आ रहा है. उमा भारती ने 8 साल की उम्र में मंदिर में प्रवचन दिया था. पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने मंदिर में दर्शन किए हैं.

डोंगरे महाराज ने हर महीने के आखिरी रविवार को अन्नछत्र शुरू किया था जो 60 सालों से चला आ रहा है. रामनवमी, महाशिवरात्रि, राम-जानकी विवाह मंदिर में आयोजित होने वाले बड़े उत्सव हैं. मंदिर द्वारा धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सामाजिक कार्य भी संचालित किए जाते हैं, वर्तमान में रामकृष्णजी पोहार मंदिर के मुख्य ट्रस्टी हैं. इसके अलावा, ट्रस्टी मंडल में सुरेश अग्रवाल, सीताराम ढांढनिया, महेंद्र कुमार पोद्दार, पुनीत पोहार, सूरज अग्रवाल शामिल हैं. श्री पोद्दारेश्वर राममंदिर से पिछले 6 दशकों से रामनवमीं पर विशाल शोभायात्रा निकलती है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है.

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