नागपुर समाचार : पुलिस भर्ती के पूर्व निजी प्रशिक्षण संस्थाओं के माध्यम से हो रही प्रताड़ना को लेकर विधायक रवीन्द्र वायकर की ओर से प्रश्नोत्तर काल के दौरान सदन में मुद्दा उठा. चर्चा करते हुए विधायक अनिल देशमुख ने कहा कि नागपुर जिले में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के लिए 100 एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी. जिसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को 3 वर्ष पूर्व भेजा गया था. किंतु अबतक प्रशिक्षण केंद्र पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
चर्चा का जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा कि इस संदर्भ में निश्चित ही सकारात्मक विचार किया जा रहा है. वास्तविक रूप में पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. जिसकी वजहसे भर्ती के बाद प्रशिक्षण के इंतजार में बैठे प्रशिक्षार्थीयों को लाभ होगा.
विधायक वायकर ने कहा कि पुलिस या सेना से निवृत्त होने के बाद ऐसे लोग पुलिस ट्रेनिंग सेंटर आदि खोलकर युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं. जिसके माध्यम से युवाओं के साथ लूट होती है. इन संस्थानों की जांच करने की मांग भी की.
पुलिस थानों को दिए निर्देश
चर्चा के बाद फडणवीस ने कहा कि राज्य भर में कहां-कहां इस तरह के निजी पुलिस ट्रेनिंग सेंटर चल रहे हैं. इसकी जानकारी जमा करने के निर्देश सभी पुलिस थानों को दिए गए हैं. इसकी जानकारी प्राप्त की जाएगी. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशिक्षण सेंटर चलाने के लिए किसी तरह से सरकार से अनुमति नहीं दी जाती है, जिस तरह से एमपीएससी या अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण सेंटर होते है, उसी तर्ज पर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किए जाते हैं. ये निजी स्तर के सेंटर होते हैं. विधायकों का मानना था कि निजी प्रशिक्षण सेंटर में कुछ पुलिस और अधिकारी भी जाकर ट्रेनिंग देते है. ऐसे में युवाओ में भ्रम पैदा होता है.
23,000 पुलिस की भर्ती
फडणवीस ने कहा कि इतिहास में पहली बार 23000 पुलिस कर्मियों की भर्ती हुई है. जबकि सरकार के पास केवल 8 हजार को प्रशिक्षण देने की क्षमता है. प्रशिक्षण सेंटर की क्षमता दुगनी की जा रही है. इसके बावजूद सभी को प्रशिक्षण नहीं दे पा रहे हैं. अब भर्ती का प्रोग्राम तय करते समय ही प्रशिक्षण क्षमता देखकर ही भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी. एक युवा को केवल एक जिले के लिए ही आवेदन करने की अनुमति है.