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नागपुर समाचार : यवतमाल जिले के आर्णी में दुर्लभ प्रजाति का पैंगोलिन मिला, वनविभाग ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा

नागपूर समाचार : यवतमाल जिले के आर्णी में दुर्लभ वन्यजीव माने जाने वाला पैंगोलिन (वज्रशल्क) बुधवार की रात्रि करीबन 10. 30 बजे के आसपास दिखाई देने से वन्यजीव प्रेमीयो में खलबल मच गई थी। सूचना मिलते ही वनविभाग के रेस्क्यू दल ने नागरिकों के सहयोग से वज्रशल्क पैंगोलिन को पकड़ा तथा आज गुरुवार को उसे जंगल मे छोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार बीती रात आर्णी के प्रभाग 8 में विठ्ठल मंदिर क्षेत्र में रास्ते पर पैंगोलिन घूमते दिखाई दिया। घूमते-घूमते वह एक नाली में चला गया। उस समय कुछ युवकों ने उसे नाली में जाते हुए देख इसकी जानकारी वनविभाग को दी। वनविभाग के रेस्क्यू दल ने नागरिकों के सहयोग से वज्रशल्क पैंगोलिन पकड़ा। वनविभाग से मिली जानकारी के अनुसार दुर्लभ वन्यजीव माने जाने वाला पैंगोलिन (वज्रशल्क) काफी दुर्लभ है।

पैंगोलिन को रेस्क्यू करने के लिये आर्णी वनपरिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय के वनपरिक्षेत्राधिकारी आर बी रोडगे के मार्गदर्शन में वनविभाग रेस्क्यू दल के सदस्य निलेश चव्हाण वनरक्षक बेलोरा, एम के जाधव,अमोल श्रीनाथ, प्रफूल कोल्हे दीपक सपकाले सहित क्षेत्र के युवक सुयोग चिंतावार, सचिन निलावार, विनोद राउत आदि के सहयोग से मशक्क्त कर पैंगोलिन को नाली से बाहर निकालाा।

जानकाारी के अनुसार पैंगोलिन इस दुर्लभ वन्य जीव की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपये की कीमत मिलती है। इस वन्यजीव का दवाइयों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है। पकड़ा गया पैंगोलिन यह भारतीय होकर 4 से 5 किलो व 100 सेमी लंबा है। इसकी खाल बहुत मोटी होती है। इसकी खाल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में डेढ़ से दो लाख रूपये है। इसके मांस की भी कीमत अधिक है। यह वन्यजीव लगातार शिकार होने के कारण विलुप्त हो गए हैं। ऐसी जानकारी वनपरिक्षेत्रधिकारी आर बी रोडगे ने दी। संभवतः आर्णी में यह प्रथमतः दिखाई दिया। इसे आर्णी वनविभाग क्षेत्र के जंगल मे वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में जंगल में छोड़ा गया।

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