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नागपुर समाचार : कोराड़ी और खापरखेड़ा थर्मल पावर स्टेशन से पर्यावरण पर असर

कोराड़ी और खापरखेड़ा थर्मल पावर स्टेशन से पर्यावरण पर असर

नागपुर समाचार : कोराड़ी और खापरखेड़ा थर्मल पावर स्टेशन पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। सतही और भूजल में पारा, आर्सेनिक, एल्युमीनियम, लिथियम आदि धातु पाए गए और फ्लाई ऐश (राख) के चलते हवा, पानी और मिट्टी सभी जगह बड़े पैमाने पर प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया। इन दोनों पावर प्लांट से निकली राखड़ में आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, सीसा, मैंगनीज, पारा, सेलेनियम, कोबाल्ट, तांबा, निकेल, जस्ता, फ्लोराइड, और तेल तथा ग्रीस के प्रदूषण पाए गए। हवा में उड़ने वाली राखड़ के कण सांस के साथ तुरंत हमारे फेफड़ों में घुस जाते हैं। एक तरफ ये पार्टिकुलेट मैटर के रूप में समस्या पैदा करते हैं, तो दूसरी तरफ इनमें मौजूद भारी धातु सीधे हमारे फेफड़ों में घुसने के कारण ज्यादा बुरा असर डालते हैं। साथ ही जब ये राखड़ पानी में मिलती है, तो यह धातु उसमें घुल जाती है। सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीएफएसडी) नागपुर, मंथन अध्ययन केंद्र पुणे और असर संस्था ने वहां के आस-पास के गांवों का सर्वे किया। अध्ययन में पाया गया है कि दो थर्मल पावर प्लांटों ने सतह के पानी और भूजल को खतरनाक धातुओं से दूषित कर दिया है, जबकि इनके फ्लाई ऐश ने हवा, पानी और मिट्टी को दूषित कर दिया है।

धातु युक्त पानी पीने को मजबूर : गुरुवार को तीनों संस्थाओं ने कोराड़ी और खापरखेड़ा के आसपास के गांवों की सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की। सर्वे से पता चला कि कोराड़ी और खापरखेड़ा पाॅवर प्लांट के प्रदूषण के कारण शहर और आस-पास के गांव के लोग भारी धातु युक्त पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (महाजेनको) के 2400 मेगावॉट के कोराड़ी और 1340 मेगावॉट के खापरखेड़ा ताप विद्युत संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) के आसपास के इलाकों में भारी प्रदूषण फैला हुआ है। हर मौसम में लिए गए पानी के नमूने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (आईएस10500 : 2012) द्वारा पीने के पानी में धातु की स्वीकार्य सीमा पर खरे नहीं उतरे हैं। अध्ययन के अनुसार, खतरनाक प्रदूषण को रोकना जरूरी है।

21 गांवों का सवालों पर आधारित सर्वेक्षण : 21 गांवों में सवालों पर आधारित सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 18 गांव में पानी के स्रोत, घर, खेत, खुले स्थान और वाहनों सहित अनेक हिस्से में राखड़ जमा होने की समस्या पाई गई। हवा में उड़ने वाली राखड़ से व्यापक रूप से वायु प्रदूषण फैलता है। बांध के सूखे हिस्से और पावर प्लांट से निकलने वाले उत्सर्जन के अलावा बिजली संयंत्रों की चिमनियों से भी राखड़ उड़ती है। 

गंभीर परिणाम की चेतावनी : अध्ययन में प्रत्यक्ष रूप से 6 ऐसे स्थान नजर आए, जिससे पता चला कि थर्मल पावर स्टेशन और उनके राखड़ तालाब से निकलने वाला अपशिष्ट कोलार और कन्हान सहित नदी-नालों में प्रवाहित किया जा रहा है। पीने की पानी की एटीएम स्वचालित मशीन के नमूनों को छोड़कर मानसून साहित सभी मौसम में लिए पानी के सारे नमूने भारत मानक संस्थान द्वारा तय मापदंडों पर खरे नहीं उतरे। पानी के अनेक नमूनों में पारा, आर्सेनिक, एल्युमीनियम, लिथियम आदि धातु के जहरीले तत्व सुरक्षित सीमा से 10-15 गुना अधिक पाए गए। स्थानीय निवासी दूषित सतही और भूजल का उपयोग पीने के लिए (साफ करके या किए बिना ही) नहाने, कपड़े धोने, मछली पकड़ने, सिंचाई और पशुओं को पानी पिलाने आदि में बड़े पैमाने पर करते हैं। इन तत्त्वों के प्रदूषण का इंसान और पशुओं के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर होता है।

दो यूनिट का विस्तार बढ़ाएगा प्रदूषण का स्तर : लीना बुध्दे, निदेशक सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीएफएसडी) के मुताबिक इन पावर प्लांट और उसके लिए बने राखड़ तालाब से फैलने वाले प्रदूषण के मद्देनजर अध्ययन की शुरुआत की। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कोराडी पावर प्लांट की 660 मेगावॉट की दो नई यूनिट के विस्तार के लिए मंजूरी की प्रक्रिया आगे बढ़ाते हुए पर्यावरण प्रभाव आकलन के मुद्दे जारी कर दिए हैं, जो चिंता का विषय है, क्योंकि इससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा।

पानी के स्रोत बुरी तरह प्रभावित : श्रीपाद धर्माधिकारी, संयोजक, मंथन अध्ययन केंद्र के मुताबिक अध्ययन से पता चला की कोराडी और खापरखेड़ा थर्मल पावर स्टेशन के कारण उस इलाके के पानी के स्रोत बुरी तरह से प्रदूषित हो गए हैं। अभी तक पावर प्लांट से हवा में फैलने वाले प्रदूषण की ओर कुछ ध्यान जरूर दिया गया, मगर उससे पानी में फैलने वाले प्रदूषण को लेकर कोई विस्तृत अध्ययन उपलब्ध नहीं था। पावर प्लांट से पानी में फैलने वाले प्रदूषण की विस्तृत जानकारी संस्था अध्ययन कर रही है।

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