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नागपुर समाचार : स्कूली परिवहन नियमों की विसंगतियां तुरंत दूर की जाएं, अन्यथा होगा उग्र आंदोलन

चालक संगठनोंओ द्वारा सरकार को चेतावनी 

नागपुर समाचार : स्कूल जाने वाले छात्रों को लाने-ले जाने वाले निजी स्कूल वैन चालकों पर अनुचित नियम थोपे जा रहे हैं। 2011 की सरकारी स्कूली परिवहन नीति की विसंगतियों के कारण उन्हें आर्थिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। स्कूली परिवहन नियमों की इन विसंगतियों को तुरंत दूर कर न्याय दिया जाए, अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा – ऐसा कड़ा संदेश आज नागपुर की वाहतूक आघाडी वेलफेयर असोसिएशन और स्कूल वैन चालक संघटना ने एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में दिया।

वाहतूक आघाडी वेलफेयर असोसिएशन के सचिव उदय आंबूलकर ने बताया कि शैक्षणिक संस्थानों के स्वामित्व वाले वाहनों की आयुसीमा 20 वर्ष तय की गई है, जबकि निजी स्कूल वैन के लिए यह 15 वर्ष रखी गई है । यह अंतर अन्यायपूर्ण है। सभी स्कूल वैन के लिए यह सीमा 20 वर्ष होनी चाहिए, ऐसी मांग उन्होंने रखी।

उन्होंने बताया कि स्कूल बसें बड़ी होती हैं जो एक फेरी में 30–35 बच्चों को ला सकती हैं, जबकि 7-सीटर वैन केवल 8–10 किलोमीटर की सीमित दूरी में कार्य करती है। ऐसे में दोनों पर एक जैसे नियम थोपना अनुचित है। रोड टैक्स की व्यवस्था भी अन्यायपूर्ण है, जहां स्कूल बसों पर प्रति सीट ₹4200 शुल्क है, वहीं 7-सीटर निजी वैन चालकों से प्रति विद्यार्थी ₹7000 तक वसूला जाता है। इस कर संरचना को सरल कर एकसमान प्रणाली लागू करने की मांग संगठनों ने की।

उन्होंने यह भी बताया कि नियमावली में केवल निजी वैन चालकों को ही दोषी ठहराया जाता है, जबकि बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अभिभावक, शिक्षक और स्थानीय प्रशासनिक समिति की कोई जवाबदेही नहीं तय की जाती। हर साल फिटनेस पासिंग के दौरान नए-नए नियम लागू कर दिए जाते हैं, और एक ही विभाग के अधिकारी अलग-अलग मांगे रखते हैं, जिससे चालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। स्कूलों की समय सारिणी को सुबह 9 बजे तक सीमित कर दिए जाने से चालकों की दो फेरे कम हो जाती हैं, जिससे भी आर्थिक नुकसान होता है, और इस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

श्याम सोनटक्के ने कहा कि परिवहन समिति जिसमें शिक्षक और अभिभावक शामिल होने चाहिए, वह केवल कागजों पर है। वास्तव में कोई भी आकर वैन की जांच नहीं करता, और सारी जिम्मेदारी केवल चालक पर डाल दी जाती है। नितीन पात्रीकर ने बताया कि पुलिस सिट बेल्ट जैसे मामूली मामलों में ऑनलाइन चालान भेजती है, लेकिन बच्चों को ढोने वाले अवैध वाहनों पर ध्यान नहीं देती। उन्होंने मांग की कि ऐसे अवैध वाहनों को वैध लाइसेंस दिया जाए ताकि वैध/अवैध का विवाद खत्म हो सके और 50 वर्ष से अधिक उम्र के चालकों और आयुसीमा पार कर चुके वाहनों को सरकार द्वारा नया वाहन दिया जाए।

उन्होंने बताया कि अब तक केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, मुख्यमंत्री, पालकमंत्री, परिवहन मंत्री आदि सभी को निवेदन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन सरकार मांगों की अनदेखी कर रही है। अगर ये मांगें तुरंत नहीं मानी गईं तो आंदोलन किया जाएगा। 23 अगस्त को नागपुर में होने वाले वाहन चालकों के महासम्मेलन में आंदोलन की दिशा तय की जाएगी।

प्रारंभ में नितीन पात्रीकर ने मांग की कि सरकार को स्कूल वैन की स्पष्ट परिभाषा स्वतंत्र रूप से करनी चाहिए। उन्होंने परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक द्वारा दिए गए आश्वासन और नियमों में मौजूद कई खामियों की ओर भी ध्यान दिलाया।

इस पत्रकार परिषद में श्यामसुंदर कृ. सोनटक्के, नितीन पात्रीकर, अफसर खान, उदय अंबुलकर, प्रकाश देवतळे, लालचंद मिश्रा, संजय यादव, मुकेश डागवर समेत बड़ी संख्या में स्कूल वैन चालक उपस्थित थे।

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