नागपुर समाचार : भारतीय शतरंज को गौरवान्वित करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण रविवार को सामने आया, जब नागपुर की युवा और उभरती हुई ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख ने अनुभवी दिग्गज कोनेरू हम्पी को मात देकर 2025 फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीत लिया। इस रोमांचक मुकाबले में दिव्या ने न सिर्फ देश का नाम रोशन किया, बल्कि भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर और 88वीं जीएम बनकर एक नया कीर्तिमान भी स्थापित किया।
फाइनल की शुरुआत: संतुलित और सतर्क मुकाबला
फाइनल की शुरुआत दो भारतीय सितारों अनुभवी कोनेरू हम्पी और युवा दिव्या देशमुख के बीच एक बेहद संतुलित गेम से हुई। पहला क्लासिकल गेम 41 चालों में ड्रॉ पर समाप्त हुआ, जहां दोनों खिलाड़ियों ने सुरक्षित और सतर्क रणनीति अपनाई। दूसरे क्लासिकल गेम में भी दिव्या ने हम्पी को 34 चालों में ड्रॉ पर रोकते हुए फाइनल को टाई-ब्रेकर की ओर धकेल दिया।
टाई-ब्रेकर: समय की रफ्तार और मनोवैज्ञानिक युद्ध
टाई-ब्रेक मुकाबलों में दोनों खिलाड़ियों को सीमित समय में निर्णायक चालें चलनी थीं। पहले टाई-ब्रेक गेम में दिव्या ने सफेद मोहरों से पेट्रोव्स डिफेंस खेलते हुए हम्पी को बराबरी पर रोका। लगातार चेक और समय की कमी के बीच खेल ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
दूसरे टाई-ब्रेक गेम में हम्पी ने सफेद मोहरों से क्वीन्स गैम्बिट डिक्लाइन्ड: कैटलन वेरिएशन से शुरुआत की, लेकिन दिव्या ने रणनीतिक बढ़त बना ली। उन्होंने समय का बेहतर प्रबंधन किया और पोज़िशनल खेल में हम्पी को मात दी।
जब हम्पी ने डेड-ड्रॉ स्थिति में एक बड़ी चूक की, तो दिव्या ने निर्णायक फायदा उठाया और खेल को अपनी मुट्ठी में कर लिया। हम्पी की एक और गलती ने अंतत: विजय का दरवाज़ा दिव्या के लिए खोल दिया।
भावुक क्षण और ऐतिहासिक जीत
खेल के बाद जब दिव्या को एहसास हुआ कि उन्होंने विश्व खिताब जीत लिया है, तो वह फूट-फूट कर रो पड़ीं। उनकी आंखों में आंसू सिर्फ जीत के नहीं थे, बल्कि उस संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास के थे, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
भारत के लिए गौरव का पल
इस जीत के साथ, दिव्या भारत की चौथी महिला और देश की देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर बन गई हैं। वहीं FIDE महिला विश्व कप जीतकर ट्रिपल क्राउन हासिल करने वाली भारतीय महिला भी बनीं।