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वर्धा समाचार : हिंदी विश्‍वविद्यालय में राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया

‘भारतीय अंतरिक्ष मिशन की एक गौरवशाली यात्रा’ पर हुआ व्‍याख्‍यान

वर्धा समाचार : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ पर शुक्रवार, 23 अगस्‍त को महादेवी वर्मा सभागार में कुलपति प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह की अध्‍यक्षता में ‘भारतीय अंतरिक्ष मिशन की एक गौरवशाली यात्रा’ विषय पर विशेष व्‍याख्‍यान का आयोजन किया गया।

व्‍याख्‍यान के पहले भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा ‘चंद्रयान-3’ के यशस्‍वी प्रक्षेपण की स्‍मृति में राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया गया। इस उपलक्ष्‍य में नई दिल्‍ली स्थित भारत मंडपम् में आयोजित मुख्‍य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखने की व्‍यवस्‍था विश्‍वविद्यालय के गालिब सभागार में की गयी।

इस कार्यक्रम में भारत की राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधित करते हुए कहा कि इसरो ने अपने शुरुआती दिनों से ही शानदार यात्रा की है। इसने अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके साथ ही इसरो ने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने उन समर्पित वैज्ञानिकों की सराहना की जिन्होंने न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शामिल किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारा देश अंतरिक्ष विज्ञान में निरंतर प्रगति करेगा और हम उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करते रहेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के राज्‍यमंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह तथा इसरो के चेयरमैन एम. सोमनाथ उपस्थित रहे।

दोपहर के सत्र में ‘भारतीय अंतरिक्ष मिशन की एक गौरवशाली यात्रा’ पर आयोजित विशेष व्‍याख्‍यान में वक्‍ता के रूप में इंडियन इस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्‍ड् स्‍ट‍डीज, शिमला के अध्‍येता प्रो. जितेंन्‍द्र कुमार राय ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कुलपति प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह ने की। अपने व्‍याख्‍यान में प्रो. जितेंद्र कुमार राय ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा सन 1962 में प्रारंभ हुई, जिसमें विक्रम साराभाई, सतीश धवन और ए. पी. जे. अब्‍दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों ने महत्‍वपूर्ण योगदान दिया।

उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारी अद्वितीय उपलब्धि के कारण हम धरती और धरती के भीतर की जानकारी हासिल कर रहे हैं। भारत ने अब अंतरिक्ष शक्ति हासिल की है। अंतरिक्ष की प्रगति के पडाव और विभिन्‍न चरणों की सफलता तथा चुनौतियों को बताते हुए उन्‍होंने कहा कि इस क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर हुआ है और यह बात अर्थव्‍यवस्‍था की दृष्टि से सराहनीय है। उन्‍होंने पी.पी.टी. और वीडियो के माध्‍यम से भारत की गौरवशाली यात्रा का वर्णन प्रस्‍तुत किया।

अध्‍यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. सिंह ने अंतरिक्ष में भारत की गौरवशाली प्रगति का उल्लेख करते हुए इस उपलब्धि में शामिल वैज्ञानिकों के प्रति आभार जताया।

कार्यक्रम का स्‍वागत वक्‍तव्‍य भाषा प्रौद्योगिकी एवं भाषा अभियांत्रिकी विभाग की प्रभारी डॉ. हर्षलता पेटकर ने दिया। उन्‍होंने कहा कि पिछले वर्ष 23 अगस्‍त को भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई और चंद्रयान-3 के यशस्‍वी प्रक्षेपण से भारत दक्षिण धृव पर उतरने वाला पहला देश बन गया। इस दिन को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया।

कार्यक्रम का संचालन लीला विभाग के डॉ. गिरीश चंद्र पाण्‍डेय ने किया तथा लीला प्रभारी डॉ. अंजनी कुमार राय ने आभार माना। कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के अध्‍यापक, शिक्षकेतर कर्मी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्‍यक्ष रूप से तथा विश्‍वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्‍वामी मराठी भाषा तथा तत्‍वज्ञान अध्‍ययन केंद्र, रिद्धपुर (अमरावती), क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज एवं कोलकाता के अध्‍यापक एवं विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित हुए।

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