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संपत्ति कर और पाणी बिल 50 प्रतिशत करे माफ, मनपा की सभा में भेजें प्रस्ताव : महापौर संदीप जोशी

नागपुर : कोरोना महामारी के चलते व्यापारी और आम लोगों पर आसमान टूट पड़ा है. ऐसे संकटकाल में सम्पत्ति कर और पानी बिल वसूली के लिए दबाव डालने की बजाय एकमुश्त 50 प्रतिशत सम्पत्ति कर और मनमानी के बिल में माफ करने का मानस सभी जनप्रतिनिधियों का है. इससे इस संदर्भ में मनपा की सभा के विचारार्थ प्रस्ताव भेजने के निर्देश महापौर संदीप जोशी ने दिए. उन्होंने कहा कि देरी से कर अदायगी करने पर जुर्माना लगाया जाता है. इस जुर्माना को माफ करने का अधिकार मनपा आयुक्त को है. अतः संवेदनशीलता दिखाकर जुर्माना माफ करने के निर्देश भी त को आयुक्त दिए. मनपा मुख्यालय में इन विषयों पर चर्चा के लिए जनप्रतिनिधियों की बैठक ली गई. विधायक कृष्णा खोपडे, गिरीश व्यास, नागो गाणार, मोहन मते, प्रवीण दटके, संदीप जाधव, तानाजी वनवे, महेन्द्र धनविजय, दयाशंकर तिवारी, सुनील अग्रवाल, राम जोशी, मिलिंद मेश्राम, मनोज गणवीर आदि उपस्थित थे.

समय पर बिल नहीं दिया तो आंदोलन…

दटके चर्चा के दौरान विधायक प्रवीण दटके ने कहा कि एक ओर हर माह जनता को बिल नहीं भेजा जाता है. वहीं दूसरी ओर जनता से बिल भरने की आशा की जाती है.इसे अनुचित करार देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समय पर बिल भेजा जाना चाहिए. पेयजल प्रबंधन के लिए ओसीडब्ल्यू द्वारा किए गए समझौते में इसे दर्ज किया गया है, किंतु कम्पनी की ओर से अब तक प्रतिमाह बिल नहीं दिया गया. यदि लोगों से नियमित बिल भरने की आशा की जा रही हो तो लोगों को समय पर बिल भी दिया जाना चाहिए. अन्यथा जनता के साथ आंदोलन करने की चेतावनी उन्होंने दी. चर्चा के दौरान विधायक खोपडे, मते और व्यास ने भी तीव्र नाराजगी जताते हुए 50 प्रतिशत तक करों में छूट देने की मांग रखी. सत्तापक्ष नेता संदीप जाघव ने गतवर्ष का जुर्माना माफ करने के साथ ही वन टाइम सेटलमेंट का अवसर लोगों को प्रदान करने और उसके बाद कर अदा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की.

महापौर और आयुक्त में फिर टकराव… 

बुधवार को मुख्यालय में जनाप्रतिनिधियों की बुलाई गई बैठक में मनपा आयुक्त मुंढे उपस्थित नहीं रहने पर फिर एक बार महापौर और आयुक्त के बीच टकराव देखा गया. महापौर ने कहा कि जनता की समस्याओं को लेकर 31 जुलाई को आयुक्त के सभागार में बैठक ली गई थी, जिसमें मनपा आयुक्त उपस्थित नहीं थे. पानी कर वृद्धि और सम्पत्ति कर को लेकर जनता को हो रही परेशानी के लिए अब बुधवार को बैठक ली गई.इसमें भी वे अनुपस्थित हैं, जबकि दोनों विभाग आयुक्त के पास हैं. अति आयुक्त को इसकी जिम्मेदारी न देकर आयुक्त ने दोनों विभाग अपने पास रखे हैं. दर वृद्धि कम करने का पत्र दिया गया, लेकिन उसका जवाब नहीं दिया गया. यहां तक कि बैठक में उपस्थित नहीं रहना उचित नहीं है.

 

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