नागपूर समाचार : १ मई महाराष्ट्र दिन को, जहा एक तरफ कस्तूरचंद पार्क में महाराष्ट्र का झंडा फहराया गया वही दूसरी ओर उसके बिलकुल पास विदर्भ जॉइंट एक्शन कमिटी बाबा शिडके द्वारा विदर्भ राज्य का झंडा फहराया गया।
इस अवसर पर अहमद कादर ने कहा १ मई विदर्भ के इतिहास का वह काला दिन है जिस दिन से विदर्भ के किसान, नवजवान, व्यापारी यानि विदर्भ की जनता पर जुल्म, अन्याय, सौतेले व्यवहार का सिलसिला शुरू हो गया जो आज तक जारी है और भविष्य में जब तक विदर्भ राज्य नहीं बनता यहाँ अन्याय जारी रहेगा ऐसे में १ मई महाराष्ट्र यहाँ काला दिन को कोई भी विदर्भ वासी कैसे इस महाराष्ट्र के झंडे को सलामी दे इसी लिए आज हमने हमारे अपने विदर्भ राज्य के झंडे की निर्मिति कर महाराष्ट्र के झंडे फहराने के दिन उनकी छाती पर बैठ कर आज विदर्भ राज्य का झंडा फहराया।

बढे दुःख के साथ यहाँ कहना पड़ता है की विदर्भ का नमक खाने वाले विदर्भ की जनता के वोटो की बदौलत मुख्यमंत्री व केंद्र मंत्री बनने वाले वह नेता जिन्होंने लिखित रूप में विदर्भ राज्य बनाने की कस्मे खाये वह नेता जिन्होंने यहाँ तक कहा था की विदर्भ राज्य जब तक नहीं बनता मै शादी नहीं करुगा वही नेता आज महाराष्ट्र की जयजयकार कर रहे है। विदर्भ राज्य अब तक नहीं बन पाने और विदर्भ की जनता की यही बदनसीबी है की उनको अब तक उनके अपनों में ही से ऐसे दगाबाज़ विदर्भ राज्य का वादा करने वाले नेता मिले। लेकिन इससे निराशा होने की ज़रूरत नहीं। क्युकी पाप का घड़ा एक न एक दिन भरना ही है। विदर्भ राज्य बनेगा ज़रूर एक दीन।
इस अवसर पर एडवोकेट संन्याल ने कहा रोज़गार की तलाश में विदर्भ के नवजवानो को उनका अपना घर परिवार छोड़ कर मुंबई, पुणे, बंगलोरे जाना पड रहा है जिसकी वजह से विदर्भ की जनसँख्या कम होती जा रही है इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है की विदर्भ से एक लोक सभा और चार विधान सभा सीटे काम हो गयी यानि विदर्भ को मिलने वाला फंड करोड़ो में कम हो गया।
एडवोकेट नीरज खान्देवाले ने कहा विदर्भ में बेरोज़गारी के कारण बाहर जाने वाले बच्चो की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसके कारण उनके माँ बाप यहाँ अकेले पड जाते है। और यही कारण विदर्भ में वृद्धाश्रम की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।
इस अवसर पर एस बी अहमर, एडवोकेट चंद्रशेखर, क्लॉडियस पीटर, वाल्दे गुरूजी, रामेश्वर मोहबे, रवि भमोड़े, एडवोकेट सिन्हा, गुनवंत सोमकुंवर, मोईन भाई, राहुल थोराद, तारेश दृगकार, आशा पाटिल, राजू रहाटे, गणेश शर्मा, यशवंत निकोसे, बालपांडे जी, एडवोकेट मुनाल मोरे, एडवोकेट विलास, अलका पोपटकर, अनिल मोहबे, असलम खान, भालेकर जी, बाड़ घरडे, विनोद पाटिल, डॉक्टर रंगारी, छरड़े जी, सुनील चोखारे जी, डॉक्टर डोंगरवार, मिलिंद मेश्राम, अजमल कादर, अहमद कादर इत्यादि उपस्थित थे।




