नागपुर समाचार : 25/04/2024 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, विदर्भ क्षेत्र की पूर्व संचालिका, ब्रह्माकुमारी पुष्पारानी दीदी जी का आठवों स्मृती दिन कार्यक्रम आज वसंतनगर स्थित विदर्भ स्तरीय मुख्य सेवाकेन्द्र में सम्पन्न हुआ। ब्रह्माकुमारी पुष्पारानी दीदी जी का जन्म 1942 में विभाजन पुर्व भारत मुलतान में हुआ। दीदी जी 14 साल की अल्प आयु में ब्रहमाकुमारी विद्यालय के संपर्क में आये। वह 1956 से 1972 तक भारत के विभिन्न राज्यों बंगाल, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र के कई नगर में दीदी जी ने सेवायें दी। 1972 से दीदी जी विदर्भ कि सेवा हेतू तत्पर रही। उनकी लगन, त्याग और तपस्या से विदर्भ के हर शहर तथा गांव गांव में ब्रह्माकुमारीज् पाठशालायें प्रारंभ हुयी।
विदर्भ में उनके आदर्श जीवन से प्रेरीत होकर 400 से भी अधिक कन्याये समर्पित होकर सेवा में आज उपस्थित है। उन्होने साधन नं उपलब्ध होने पर भी छोटीसी जगह से सेवा शुरु कि। विदर्भ में आज 132 सेवाकेंद्र तथा 1000 से भी अधिक ब्रह्माकुमारीज् पाठशालाये कार्यरत है। लगभग 40 हजार भाई बहने इस ज्ञान मार्ग पर चल रहे है और पवित्र गृहस्थ जीवन जी रहे है। उन्होने पुरा जीवन अंतीम श्वास तक परमात्मा के निर्देशानुसार सेवा करते व्यतीत किया। दीदी जी का जीवन सादगी और इकॉनॉमी वाला था, बोल में ईश्वरीय शक्ति थी। दीदी जी के व्यक्तित्व में सरलता, प्रेमभाव, नम्रता, मिलनसार स्वभाव के कारण हर एक आपसे समीपता का अनुभव करते थे।
उन्होंने 23 एप्रिल 2016 शाम 7.00 बजे पुराना शरीर छोड प्रस्थान किया। दिदीजी के नेतृत्व में ग्राम विकास यात्रा, युवा प्रभाग के कई संगोष्ठी, नारी उत्थान यात्रा, योगीक जैविक खेती यात्रा, मोटर साइकल यात्रा, कार्यशालायें, मेगाप्रोग्राम आदि का आयोजन हुआ। दीदी जी हिंदी, सिंधी, मुलतानी, पंजाबी, गुजराती, मराठी भाषाओं से अवगत थी। ऐसी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न दिदीजी को ब्रह्मावत्स कोटी कोटी प्रणाम करते है।
इस समय पर वर्तमान नागपुर विभाग की संचालिका आदरणीया राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी जी, सह संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनिषा दीदी जी, राजयोगी प्रेमप्रकाश भाई तथा अन्य सभी सेवाकेन्द्र कि संचालिका उपस्थित थी।
इस समय पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी जी ने दीदी जी के साथ का अनुभव उन्होने सांझा किया तथा कहां कि हम सभी बहनों को सक्षम किया। उन्होने विदर्भ की आत्माओं की आध्यात्मिक पालना करते हुये मातृतुल्य प्यार दिया। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनिषा दीदी जी ने भी उनको याद करते हुये कहो कि दीदी यादों में अभी भी हमारे साथ है। उन्होंने कहा की उनकी पालना का ही असर है की हम यहा है और हम उनके अधुरे सपने को जरुर पुरा करेंगे।
नागपूर के अलग-अलग स्थान से आये हुई भाई बहनों ने दीदीजी को याद कर श्रध्दा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में करीब 1000 से भी अधिक भाई बहेने उपस्थित थे।