
नई दिल्ली समाचार : भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोविड -19 के इलाज के लिए एंटीवायरल ड्रग फेवीपिरवीर के प्रतिबंधित उपयोग को मंजूरी दी है. डीसीजीआई की ओर से कहा गया है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ इमरजेंसी में ही किया जा सकेगा, इसके लिए परिवारवालों की सहमति लेना अनिवार्य होगा.
डीसीजीआई की ओर से कहा गया है कि कोर्स की अवधि 14 दिन की है और पहले 1,000 रोगियों की स्थिति की निगरानी की जाएगी. फेवीपिरवीर को मंजूरी मिलने के बाद ग्लेनमार्क पूरे भारत के 10 प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों से नामांकित 150 रोगियों के साथ फेविपिरवीर के चरण 3 के नैदानिक परीक्षणों का आयोजन कर रहा है.
क्या है फेवीपिरवीर दवा…?
ये दवा चीन और जापान जैसे पूर्वी एशियाई देशों में इन्फ्लूएंजा के मरीजों को पहले से दी जा रही एक एंटीवायरल दवा है. इसके साथ ही कई अन्य वायरल संक्रमणों के इलाज में भी इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है. एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि यह दवा कोरोना संक्रमण के इलाज में मददगार साबित हो सकती है.
कैसे काम करती है
इस साल के दूसरे माह में चीन में कोरोना के इलाज के लिए फेवीपिरवीर पर शोध किए जा रहे थे, तब इसमें पाया गया कि यह दवा किसी अन्य दवा के मुकाबले वायरल को तेजी से कम करती है. इसकी पुष्टि के लिए लोगों के सीटी स्कैन भी देखे गये जिनमें काफी सुधार देखा गया. हालांकि कुछ मरीजों का कहना था कि उन्हें इससे कुछ साइड इफेक्ट्स भी हुए.
सीएसआईआर के डीजी ने फेवीपिरवीर को एक सुरक्षित दवा बताते हुए कहा था कि इसका ट्रायल डेढ़ महीने में पूरा होने की संभावना है. उन्होंने कहा था, ‘अगर ट्रायल सफल रहा तो जल्द ही किफायती दामों पर दवा उपलब्ध हो जाएगी. इसका एक बड़ा कारण यह है कि फेवीपिरवीर एक पुरानी दवा है जिसका पेटेंट अब एक्सपायर हो चुका है.