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नागपुर समाचार : ब्रह्माकुमारीज ने मनाया ‘महाविजय उत्सव’

ब्रह्माकुमारीज ने मनाया ‘महाविजय उत्सव’

नागपुर समाचार : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ओर से तुलसीबाग स्थित मेहंदी लॉन में आयोजित ‘अलविदा तनाव’ शिविर में हजारों की उपस्थिति में जोरदार शंखनाद और घंटियों की ध्वनि कर महाविजय उत्सव मनाया। मंच के सामने एक अनोखा यज्ञ रचा गया था जहां सभी ने अपनी कमी–कमजोरियों व बुराइयों को चिट्ठी में लिखकर आहूति डाली। पंडित मंत्र पढ़ कर यज्ञ में तनाव, डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, नफरत, बीड़ी, सिगरेट, तंबाखू, शराब आदि की आहुति सभी से डलवा रहे थे। ‘जहां डाल-डाल पर सोने की चीड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा गीत पर लोग झूम उठे। ब्रह्माकुमारी बहनों ने ध्वज लहराकर अपनी खुशियों का इजहार किया।

कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञ ब्र.कु. पूनम बहन ने आठवें दिन शनिवार को ‘वर्ल्ड डामा का रहस्य समय की पहचान के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि सृष्टि नाटक चार स्टेज में चक्र लगाता है। हर युग की आयु 1250 वर्ष है। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग… चारों युगों का एक चक्र जिसकी आयु 5 हजार वर्ष है। परंतु इसे लाखों करोड़ो वर्ष का नाटक क्यों कहा गया है क्योंकि यह चार युगों का चक अनगिनत वर्षों से पुनरावृत्त हो रहा है। वर्तमान समय घोर कलियुग है जिसका परीवर्तन होकर अब फिर से वही सुख-शांति की दुनिया सतयुग आना है। जिसे पैराडाइज, बहिश्त, वैकुंठ, स्वर्ग, जन्नत आदि विभिन्न नाम दिये गये हैं।

चार युगों में यह बेहद की फिल्म चलती रहती है। एक राज्य, एक भाषा, एक धर्म, एक मत वाली इस सतयुगी दुनिया में लक्ष्मी नारायण का अटल अखंड राज्य होता है। राजा और प्रजा सभी निर्विकारी होते हैं। वहां शेर और गाय भी एक घाट पर पानी पीते हैं। त्रेता युग में सीता-राम का राज्य होता है। वहां 12 जन्म होते हैं। इस तरह 2500 वर्ष तक इस सृष्टि पर सम्पुर्ण सुख, शांति, पवित्रता का साम्राज्य रहता है। दुःख का नाम निशान नहीं होता। तीसरा युग द्वापर युग है जहां खलनायक रूपी रावण का प्रवेश होता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि से पीड़ित मनुष्य सुख-शांति की प्राप्ति के लिए एक ही परमात्मा शिव की भक्ति शुरू करते हैं और बाद में अनेक देवी-देवताओं की पूजा होने लगती है। इसके अलावा इस सृष्टि को ज्यादा पतित होने से बचाने के लिये इस सृष्टि मंच पर विभिन्न धर्म के संस्थापकों का आगमन भी शुरू हो जाता है। अब तो हर बात की अति हो गयी है। वर्तमान समय तो घोर कलियुग है। एटमबम, प्राकृतिक आपदा, गृहयुद्धों आदि के द्वारा इस कलियुगी दुनिया का परीवर्तन होना है।

परमपिता परमात्मा ने बताया है कि अब यह दुनिया बदल रही है और सुखमय संसार की स्थापना हो रही है। महाज्योति परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर मानव को देव बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने जनसमुदाय से आह्वान किया कि वे परमात्मा के आने की खुशखबरी सभी को सुनाएं। परमात्मा रूपी चार्जर से ही आत्माओं की बैटरी चार्ज होगी। इसके लिये सभी को शिवबाबा को याद करने की विधि सीखनी होगी। सबका मंगल होय रे’ शांति मंत्र से सत्र की समाप्ती की गयी। इस अवसर पर प्रथम गोंड राजे परीवार की राजमाता श्रीमती राजश्री देवी शाह, महानगर संघप्रमुख श्री राजेश जी लोहिया, प्राचार्य श्री विनय जी बाबर, के. डी. के. इंजिनियरींग कॉलेज, नागपुर, मा. श्री गजानन राजमाने, डी.सी.पी., मुंबई आदि को गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया ।

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