नागपुर समाचार : ‘वैसे तो विश्व कप के सभी मैचों में अपने प्रतिद्वंद्वियों से कड़ा मुकाबला हुआ लेकिन चीन की वर्ल्ड नंबर 2 खिलाड़ी झू जिनर के साथ चौथे राउंड में खेला गया मुकाबला काफी चुनौतीपूर्ण था. मुकाबला जीतने के लिए मुझे सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ा. मैं किस्मत वाली रही कि टाईब्रेकर राउंड में मुकाबला को जीतकर आगे बढ़ी. फाइनल में भारत की कोनेरू हम्पी के साथ हुए मुकाबले को में दूसरे स्थान पर रखूंगी.’ यह कहना है फिडे महिला विश्व चैम्पियन विजेता ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख का. गुरुवार को नागपुर में चर्चा के दौरान दिव्या ने विश्व कप के मैच, शतरंज में भारत के बढ़ते वर्चस्व, देश के राज्यों में शतरंज के हालात और परिवार व कोच पर खुलकर चर्चा की।
नागपुर का नाम विश्व पटल पर चमकाने वाली 19 साल की दिव्या ने कहा कि फाइनल में मेरे पास खोने को कुछ नहीं था. टाईब्रेकर में ग्रैंडमास्टर हम्पी ने गलती की जिसका मैंने फायदा उठाया और जीत हासिल हुई. गुरुवार को दिव्या, उनके पिता डॉ. जितेंद्र देशमुख, माता डॉ. नम्रता देशमुख सहित अखिल भारतीय शतरंज संघ से अजीत वर्मा, महाराष्ट्र शतरंज संघ के अध्यक्ष परिणय फुके ने रामनगर स्थित हिलफोर्ट स्कूल में शाम 4.30 बजे से आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सवालों के जवाब दिए।
परिवार और ईश्वर का साथ मिला
5 वर्ष की उम्र से लेकर विश्व विजेता बनने तक के सफर में लगातार प्रोत्साहन और शतरंज में आगे बढ़ने की प्रेरणा पर उन्होंने कहा कि मेरी सफलता के पीछे हजारों लोगों का हाथ है. कई लोगों ने मदद की लेकिन माता-पिता ने संघर्ष कर मेरे लिए सब किया. उनके त्याग से मैं आज यहां तक पहुंची. मुझ पर ईश्वर की अनुकंपा रही जिससे में आगे बढ़ती चली गई. मेरे पहले कोच राहुल जोशी (40 वर्ष की उम्र में निधन) को में अपना ग्रैंडमास्टर खिताब समर्पित करूंगी क्योंकि वे हमेशा चाहते थे कि मैं ग्रैंडमास्टर बनू।