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नागपूर समाचार : एपीएमसी पर आरोप तय करने का आदेश – विधायक कृष्णा खोपड़े

नागपुर समाचार : महाराष्ट्र सरकार, सहकारिता एवं विपणन विभाग, पत्र क्रमांक २०२५ प्रकरण २५१/११ एस, दिनांक २३ सितंबर २०२५, विपणन निदेशक, पुणे को संबोधित, प्रकरण क्रमांक १६८६ में मंत्री के मामले में, सरकार ने विवणन निदेशक, पुणे को मदर में दिए गए वादे को तुरंत पूटा करने, निगमों के तहत उन पर आरोप तय करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

पूर्व नागपुर के विधायक कृष्णा खोपड़े ने यह जानाकारी देते हुए बताया कि २०१७ में, सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति, नागपुर में कुप्रशासन के संबंध में निदेशक मंडल के विरुद्ध ए.डी. पाटिल की अध्यक्षता में लेखा परीक्षक सहित पाँच सदस्यों की एक समिति नियुक्त की थी। इस समिति ने जब सरकार को ५० पुत्रों की जांच रिपोर्ट सौंपो, तो यह साबित हुआ कि संचालक मंडल ने अपने परिवार को दुकाने, गोदाम, होरल बॉट दिए और ही मंडी समिति में अरचों रुपये आपस में बाँटकर घोटाला किया। उस समय सचिव राजेश भुसारी भ्रष्ट संचालक मंडल से मिले हुए थे। इस जाँच रिपोर्ट में कई तरज के भ्रहाचार उजागर हुए हैं।

जब संचालक मंडल ने इस समिति की रिपोर्ट के विरुद्ध अपील दायर की, ती उच्च न्यायालय ने संयुक्त रजिस्टार की सुनवाई कर निर्णय लेने का आदेश दिया। संचालक मंडल के लक्ष्मी दर्शन और पूर्व मंत्री के दाम में संयुक्त रजिस्ट्रार ने सुनवाई करने के बावजूद लगभग डेढ़ साल तक कोई निर्णय नहीं दिया। ऐसो संयुक्त रविस्टार अभियोग लगाने का आदेश दिया गया है।

खोपडे ने बताया कि पूर्व सचिव राजेश भुसारी दोनों समितियों, ए.डी. पाटिल २०१७/ खंदागले समिति २०२३, की जाँच में दोषी सिद्ध हुए हैं। पर. डी. पारिल की जाँच रिपोर्ट के अनुसार, राजेश भुसारी की महत्वपूर्ण भूमिका है और खंडागले समिति की रिपोर्ट के अनुसार, केवल एक मामले में ही निदेशक और राजेश पुमारी ने ४० करोड रुपये के सरकारी राजस्व की सूट की है। आज, मंडी को प्रतिदिन देद से दो लाख बकरियों का राजस्व उपकर के रूप में प्राप्त होता है। लेकिन २० वर्षों में केवल ९५ हजार रुपये का राजस्व/उपकर दिखाना गया।

राजेश भुसारी भ्रष्टाचार के मास्टरमाइंड हैं और उन्होंने शेप मुटों की जांच में खंडागले समित्ति को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए और सहयोग नहीं किया। अतः बैंकि पुमारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सिद्ध हो चुके है, इसलिए सरकारी राजस्य को लुला और उनसे वित्तीय वसूली व पेंशन रोकना एक गंभीर मामला है और राज्य सरकार ने विपणन निदेशक, पुणे को उनके विरुद्ध मामला दर्ज कर सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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