नागपुर समाचार : नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्य जीएसटी विभाग, नागपुर के अतिरिक्त आयुक्त तेजराव पाचरणे को उनके कार्यालय में महाराष्ट्र में भी प्रोफेशन टैक्स समाप्त करने हेतु प्रतिवेदन दिया। इस अवसर पर चेंबर के अध्यक्ष अर्जुनदास आहूजा, उपाध्यक्ष फारूक अकबानी, स्वप्निल अहिरकर, सचिव सचिन पुनियानी, पीआरओ सीए हेमंत सारडा, चेंबर की अप्रत्यक्ष कर समिति संयोजक सीए रितेश मेहता, चेंबर के सदस्य जयप्रकाश पारेख व नारायण तोष्णीवाल उपस्थित थे।
अध्यक्ष अर्जुनदास आहूजा ने अतिरिक्त आयुक्त तेजराव पाचरणे का पुष्पगुच्छ व दुपट्टे द्वारा सत्कार किया गया व उन्हें चेंबर की गतिविधियों की जानकारी देते हुये बताया कि चेंबर सदैव व्यापारियों के हितार्थ सरकारी व गैर-सरकारी विभागों एवं संस्थाओं के मध्य समन्वय बनाकर व्यापारियों की समस्याओं को हल कराने हेतु सेतु का कार्य करता है तथा प्रतिवेदनों व पत्रों के माध्यम से व्यापारियों की समस्याओं एवं परेशानियों को शासन-प्रशासन के समक्ष रखकर उन्हें हल कराने का प्रयास किया जाता है।
इसी के तहत इस प्रतिवेदन के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य में प्रचलित महाराष्ट्र राज्य व्यवसाय, व्यापार, सेवाओं और रोजगार कर अधिनियम, 1975 के अंतर्गत वसूल किए जाने वाले प्रोफेशन टैक्स को समाप्त करने हेतु राज्य सरकार से मांग करता है। उपाध्यक्ष फारूक अकबानी ने बताया कि जीएसटी व्यवस्था लागू करते समय उसमें में अनेक करों का विलीनीकरण किया गया। जीएसटी विभाग का मुख्य उद्देश्य था कि विविध अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर एक सरल और एकीकृत कर प्रणाली लागू की जाए। यद्यपि प्रोफेशन टैक्स जीएसटी में सम्मिलित नहीं किया गया, तथापि यह कर प्रणाली में अनावश्यक जटिलता एवं दोहराव उत्पन्न करता है।
उपाध्यक्ष स्वप्निल अहिरकर ने बताया कि प्रोफेशन टैक्स एक प्रत्यक्ष कर होते हुए भी इसमें जीएसटी जैसी पंजीकरण, मासिक-वार्षिक विवरणी एवं मूल्यांकन जैसी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे व्यवसायियों एवं पेशेवरों पर अनुपालन का अनावश्यक भार आता है।प्रोफेशन टैक्स से प्राप्त राजस्व न के बराबर है जबकि इसकी अनुपालना में लगने वाला समय, श्रम एवं लागत कहीं अधिक होती है, जिससे यह कर प्रशासन एवं करदाताओं दोनों के लिए बोझ हो गया है।
चेंबर के सचिव सचिन पुनियानी ने कहा कि जीएसटी विभाग द्वारा दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों ने प्रोफेशन टैक्स को समाप्त कर सकारात्मक सुधार का मार्ग अपनाया है। महाराष्ट्र सरकार भी ऐसे ही सुधारात्मक कदम उठाकर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में अग्रणी भूमिका निभा सकती है। अतः महाराष्ट्र में भी प्रोफेशन को समाप्त कर यहां नागरिकों एवं व्यापारियों को राहत देना चाहिए।
अप्रत्यक्ष कर समिति के संयोजक सीए रितेश मेहता ने कहा कि प्रोफेशन टैक्स का सूक्ष्म व लघु व्यवसायियों एवं कर्मचारियों पर अधिक प्रभाव प्रभाव होता है। सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को ₹2,500 जैसे नाममात्र कर के लिए भी पंजीकरण कराना पड़ता है, जिससे अनावश्यक कानूनी कार्यवाही होती है। वेतनभोगी कर्मचारी पहले ही आयकर एवं जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष करों में योगदान दे रहे हैं। ऐसे में प्रोफेशन टैक्स एक पुनरावृत्त और प्रतिगामी कर बन जाता है।
पीआरओ सीए हेमंत सारडा ने कहा कि प्रोफेशन टैक्स के अनुपालन की उपरोक्त परेशानियों का संज्ञान लेकर चेंबर जीएसटी विभाग से निवेदन करता है कि राज्य सरकार को यह सिफारिश भेजकर प्रोफेशन टैक्स को पूर्णतः समाप्त करवाना जाना चाहिए। यदि इसकी पूर्ण समाप्ति तत्काल संभव न हो तो छूट की सीमा बढ़ाई जाए और प्रक्रिया को यथासंभव सरल बनाया जाना चाहिए। जिससे करदाताओं का राज्य सरकार द्वारा कर सुधारों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित होगा एवं करदाताओं का मनोबल भी बढ़ेगा। इससे अनुपालन का बोझ कम होगा। विभागीय संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और कर वातावरण अधिक सहज बन सकेगा।