नागपुर समाचार : नागपुर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कार्यरत लगभग 1,300 नर्सों ने अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर 18 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल के कारण मेडिकल कॉलेज, मेयो, सुपर स्पेशियलिटी और आयुर्वेद अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएँ बड़े पैमाने पर बाधित हुई हैं।
इस हड़ताल में 75 प्रतिशत से अधिक नर्सों के शामिल होने से मरीज़ों की सेवाएँ सीधे तौर पर प्रभावित हो रही हैं और मरीज़ों व उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नर्सें सुबह 8 बजे से ही काम से अनुपस्थित हैं, जिससे अस्पताल प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है।
नर्सों की क्या माँगें हैं?
नर्सों ने अपनी विभिन्न लंबित माँगों के लिए सरकार से बार-बार माँग की थी। इससे पहले सरकार के साथ बातचीत हुई थी, लेकिन सफलता न मिलने पर अब अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया गया है।
उनकी मुख्य माँगें इस प्रकार हैं
- सेवा शर्तों में सुधार
- थकावट वेतन का समय पर भुगतान
- स्थायी भर्ती प्रक्रिया
- कार्य समय का नियमन
- पदोन्नति और अन्य रियायतों के कार्यान्वयन में स्पष्टता
रोगी सेवा को बड़ा झटका
हिट के कारण आवश्यक सेवाओं और ओपीडी सहित कई विभागों में सेवाएँ बाधित होने की खबर है। कई मरीजों की सर्जरी से पहले की तैयारी और दवाइयों में देरी हुई है। हालाँकि अस्पताल प्रशासन फिलहाल संविदा नर्सों और प्रशिक्षित कर्मचारियों के ज़रिए सेवाएँ जारी रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में आती नहीं दिख रही है।
प्रशासन का असमंजस भरा रुख
इस बीच, ऐसा लग रहा है कि हड़ताल खत्म करने के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालाँकि नर्स संघों ने फिर से बातचीत करने की इच्छा जताई है, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कुल मिलाकर, नागपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर आए इस संकट का जल्द से जल्द समाधान हो और नर्सों की माँगों का समाधान निकाला जाए, यही मरीज़ों और उनके परिजनों की अपेक्षा है।