विदर्भ स्तरीय खंजरी भजन स्पर्धा के समापन पर बोले केन्द्रीय मंत्री गडकरी
नागपुर समाचार : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज ने अपने भजनों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जागरूक किया. उन्होंने समाज में परिवर्तन लाया. राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए देशभक्ति का संचार करने का कार्य किया. यह बात केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मप्र सांस्कृतिक महोत्सव समिति द्वारा आयोजित विदर्भ-स्तरीय खंजरी भजन प्रतियोगिता के समापन पर कही.
इस दौरान उन्होंने उन्होंने महाराज के विचारों को सर्वव्यापी बनाने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए नई तकनीक का उपयोग करने का आव्हान भी किया. श्री गडकरी ने इच्छा व्यक्त की कि मध्य प्रदेश सांस्कृतिक महोत्सव में 4000 गुरुदेव भक्त भजन गाएं, उन्होंने यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि नागपुर विवि के 50 हजार छात्र गांव-गांव में राष्ट्रसंत के विवि गीत गाएं और एक साथ विश्व रिकॉर्ड बनाएं. सुरेश भट सभागार में हुए इस आयोजन में श्रीक्षेत्र अंजनगांव सुर्जी स्थित देवनाथ मठ के श्रीनाथ पीठाधीश्वर, अखिल भारतीय गुरूदेव सेवा मण्डल के महासचिव जीतेन्द्रनाथ महाराज, जनार्दनपंत बोथे
इन प्रतिभाओं को मिला सम्मान
स्पर्धा में प्रथम स्थान प्रथम स्थान स्वर गुरुकुंज भजन मंडल गुरुकुंज आश्रम, मोजारी, दूसरा स्थान आदर्श गुरुदेव सेवा मंडल निमगवां चांदूर रेलवे, तृतीय स्थान सार्थक गुरुदेव सेवा मंडल हस्तपुर बभूलगांव, चौथा स्थान गुरुदेव मानव सेवा छत्रालय भजन मंडल, मोजारी, पांचवां स्थान अखिल भारतीय गुरुदेव सेवा मंडल हीरापुर बोयली चंद्रपुर, छठा स्थान जय वलेकर मौली भजन मंडल खामगांव, सातवां स्थान गुरुमौली भजन मंडल सहूर अष्टी को मिला. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज के भजनों पर आधारित विदर्भ स्तरीय प्रतियोगिता के प्रारंभिक दौर में लगातार दो दिनों तक 271 भजन मंडलों ने भाग लिया.
गुरुजी, नागपुर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. विजयलक्ष्मी थोटे, सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कालमेघ, मप्र सांस्कृतिक महोत्सव समिति के अध्यक्ष प्रो. ‘तुकडोजी महाराज अक्सर रेल यात्रा के दौरान भजन लिखते थे. महाराज ने हमें भजन की महिमा बताई. भजन सच्चे अर्थों में आत्मा का भोजन होना चाहिए. इसीलिए संतों ने यह साहित्य लिखा है यह बात जनार्दनपंत बोथे गुरुजी ने अपने उद्बोधन में कही.
इस दौरान जितेन्द्र नाथ महाराज ने कहा कि भजन पुरुषत्व, आदर्श और प्रेरणा का निर्माण करते हैं. इन भजनों के माध्यम से राष्ट्रसंतों ने मन और भावनाओं की तरंगों को कैसे होना चाहिए, यह लिखा. भारत एक मंदिर है. गुरुदेव जैसे संतों का होना विदर्भ का सौभाग्य है. अनिल सोले, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विचारधारा के अभ्यासी ज्ञानेश्वर रक्षक, अखिल भारतीय गुरुदेव सेवा मंडल के अशोक यावले, संताजी सभा के अध्यक्ष नानाभाऊ ढगे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन बालासाहेब कुलकर्णी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्रीरंग वरदपांडे ने किया.