नागपुर समाचार : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ७५ वर्ष की उम्र को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ७५ की उम्र होने के बाद दूसरों को भी अवसर देना चाहिए। भागवत गुरुवार को नागपुर में रामजन्म भूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। ७४ वर्षीय भागवत ने कहा, ‘मोरोपंत पिंगले ने कहा था कि जब ७५ वर्ष की शॉल ओढ़ाई जाती है तो अर्थ होता है कि हमारी उम्र हो चुकी है, अब थोड़ा किनारे हो जाना चाहिए।’
भागवत ने कहा, ‘संघ में प्रसिद्धि से दूर रहते हुए काम कर ७५ वर्ष की उम्र के बाद सेवानिवृत्त होने का आदर्श मोरोपंत पिंगले ने पेश किया था। जैसे हनुमान ‘राम काज करिबे को आतुर’ थे, वैसे ही मोरोपंत ‘संघ कार्य करिबे को तत्पर’ थे। यह समर्पण से आता है। राम जन्मभूमि आंदोलन में भी मोर-ोपंत ने अशोक सिंघल को आगे रखा, खुद आगे नहीं आए। गुमनाम रहकर काम करने की मिसाल पेश की।’
भागवत ने पिंगले की राजनीतिक दूरदृष्टि और सटीक भविष्यवाणियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘आपातकाल के बाद चुनाव नतीजों पर चर्चा चल रही थी, तो मोरोपंत ने कहा था विपक्ष के २७६ सांसद चुनकर आए, तो सत्ता परिवर्तन निश्चित होगा। ज्ञात हो कि, देश में लगातार चर्चाओं का दौर शुरू है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अघोषित एक नियम किया था इसके तहत उन्होंने पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया था जिन्होंने ७५ साल की उम्र को पर कर लिया था। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र जैसे बड़े नेता शामिल थे।
प्रधानमंत्री मोदी भी जल्द ७५ के होने वाले हैं, वहीं संघ प्रमुख इसी साल ११ सितंबर को ७५ की उम्र को पार कर जायेंगे, इसको देखते हुए पिछले कुछ समय से यह चर्चा जोरों पर हैं कि, क्या मोदी पीएम पद छोड़ेंगे या बने रहेंगे। मोहन भागवत क्या करेंगे किसे सरसंघचालक बनाएंगे।